एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: मोटापे से ग्रस्त माताओं से जन्मे पुरुषों का जन्म के समय अधिक वजन होने की संभावना अधिक होती है और बाद में जीवन में उन्हें यकृत रोग या मधुमेह जैसे चयापचय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मातृ मोटापे के प्रभाव को देखने वाले एक नए अध्ययन के मुताबिक मोटापे से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के पुरुष भ्रूण में अलग-अलग संकेत होते हैं जो लिवर में पुरुष सेक्स हार्मोन द्वारा सक्रिय होते हैं, जो उन्हें अपने स्वास्थ्य की कीमत पर विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
जानकारी के मुताबिक यूएनआईएसए शोधकर्ता डॉ. एशले मीकिन का कहना है कि एण्ड्रोजन पुरुषों को उनके पुरुष गुण प्रदान करते हैं और उनके विकास में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यदि बहुत अधिक हैं, तो पुरुष भ्रूण बहुत बड़े हो जाते हैं, जिससे न केवल जन्म के समय समस्याएं होती हैं, बल्कि एक वयस्क के रूप में यकृत के कार्य पर भी असर पड़ता है। मोटापे से ग्रस्त गर्भावस्था के कारण अतिरिक्त टेस्टोस्टेरोन के संपर्क में आने वाली मादा भ्रूण के लीवर में एण्ड्रोजन मार्ग को बंद कर दिया जाता है, जिससे उनका विकास सीमित हो जाता है और वयस्कता में चयापचय संबंधी विकारों का खतरा कम हो जाता है।
डॉ मीकिन का कहना हैं कि, हम जानते हैं कि मातृ मोटापे की प्रतिक्रिया के रूप में बाद के जीवन में चयापचय संबंधी विकारों में लिंग अंतर होता है। यदि पुरुषों की माँ गर्भावस्था के दौरान मोटापे से ग्रस्त है और जन्म के समय उनका वजन 4 किलोग्राम (9 पाउंड 15 औंस) से अधिक है, तो वयस्क होने पर उन्हें गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग और मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है।