Salanpur: पंचायत चुनाव में नामांकन वापस लेने का दौर शुरू, तृणमूल पर गंभीर आरोप

​विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने पर तृणमूल कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों ने बीडीओ कार्यालय (BDO Office) के बाहर अबीर खेल कर एकतरफा जीत का जशन मनाया। 

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Sneha Singh
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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज: आज यानि सोमवार को बासुदेवपुर जेमाहारी ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) से विपक्ष के दो उम्मीदवारों ने प्रखंड बीडीओ कार्यालय में आकर नामांकन वापस ले लिया। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पंचायत के 11 सांसदों में से 6 संसद पर निर्विरोध जीत दर्ज कर लिया। इसे पहले ही पंचायत के 4 सांसदों में विपक्ष पार्टी के किसी भी उम्मीदवारों ने नामांकन नही दाखिल किया था। वही प्रखंड के सामडीह से समिति संख्या 8 से खड़े दो विपक्षी उम्मीदवार ने नामांकन पत्र वापस ले लिया, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस की एकतरफा उम्मीदवार बिना चुनाव के ही जीत गई। ​विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने पर तृणमूल कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों ने बीडीओ कार्यालय (BDO Office) के बाहर अबीर खेल कर एकतरफा जीत का जशन मनाया। 

 पंचायत समिति एंव पंचायत सदस्य चुनाव से पहले ही सालानपुर (Salanpur) प्रखंड में विपक्षी पार्टियों के कुल 29 एंव बाराबनी में 8 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। वही नामांकन वापस लेने को लेकर सीपीएम क्षेत्रीय समिति के सचिव रंजीत सरकार ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया एंव कहा कि पहले फूलों से शांति का संदेश दिया गया, बाद में सीपीएम उम्मीदवारों को घर-घर जाकर सत्ता पक्ष के गुंडों द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई। जिसके बाद उम्मीदवारों को जबरन नामांकन वापस लेने के लिऐ मजबूर किया जा रहा है। क्षेत्र में यह दिखाया जा रहा है कि चुनाव शांतिपूर्ण हो रहा है। दूसरी ओर सीपीएम को ऐसे दो उम्मीदवार जिन्होंने नामांकन वापस लिया उनसे पूछने पर किसी भी दबाव से इंकार करते हुए, मर्जी से नामांकन पत्र वापस लेने की बात कही है।

सत्ता दल तृणमूल कांग्रेस के प्रखंड उपाध्यक्ष भोला सिंह ने कहा कि विपक्ष अपनी मर्जी से नामांकन वापस ले रहा है। किसी को डराया-धमकाया नहीं जा रहा है। विपक्ष झूठे आरोप लगा रहा है, सभी आरोप निराधार हैं। अगर विपक्ष के पास कोई भी सबूत है तो वो आए मेरे सामने प्रमाण दे। मैं तत्काल पार्टी पद से इस्तीफा दे दूंगा एंव राजनीति छोड़ दूंगा। सीपीएम एक बार अपने दौर को याद कर ले जब चुनाव में सीपीएम के नेता तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को चुनाव में खड़े नही होने देते थे।