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सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि कानून के अनुसार, भरण-पोषण की मांग करने वाली महिला को वित्तीय सहायता की वास्तविक आवश्यकता दर्शानी होगी।