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Delhi High Court
एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर पत्नी को स्थायी भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भरण-पोषण सामाजिक न्याय का एक साधन है, न कि सक्षम व्यक्तियों के बीच धन या वित्तीय समानता का साधन। सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि कानून के अनुसार, भरण-पोषण की मांग करने वाली महिला को वित्तीय सहायता की वास्तविक आवश्यकता दर्शानी होगी।
पीठ ने यह टिप्पणी एक पारिवारिक न्यायालय के उस निर्देश को बरकरार रखते हुए की, जिसमें एक महिला को उसके पति द्वारा क्रूरता के आधार पर स्थायी भरण-पोषण देने से इनकार कर दिया गया था और तलाक दे दिया गया था।
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