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Police inactive in Murshidabad violence
एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित तथ्य-खोजी समिति ने 11 अप्रैल को धुलियान में हुई घटनाओं के दौरान पुलिस की “निष्क्रियता और अनुपस्थिति” को उजागर करते हुए पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महबूब आलम ने हमलों का निर्देश दिया था। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है, “स्थानीय पार्षद, अर्थात् महूब आलम, 11 अप्रैल, 2025 को उपद्रवियों के साथ आया था। विधायक भी मौजूद थे; उन्होंने बर्बरता देखी और चले गए। लेकिन 12 अप्रैल, 2025 को हिंसा जारी रही।” रिपोर्ट में कहा गया है, “स्थानीय पार्षद महबूब आलम द्वारा हमले निर्देशित किए गए थे,” स्थानीय पुलिस “पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी।”
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समिति में जोगिंदर सिंह, रजिस्ट्रार (कानून), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती को हिंसा से विस्थापित हुए पीड़ितों की क्षति तथा पुनर्वास आवश्यकताओं की पहचान करने तथा उनका आकलन करने का कार्य सौंपा गया था।
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समिति ने दस्तावेजीकरण किया कि "बेटबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।" रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि "अधिकांश निवासियों को मालदा में शरण लेनी पड़ी, लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन सभी को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया है।"
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रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान मंदिर भी नष्ट कर दिए गए। मीडिया के अनुसार, न्यायमूर्ति सौमेन सेन तथा राजा बसु चौधरी की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि पीड़ितों को "व्यक्तिगत तथा अनुकूलित पुनर्वास पैकेज" की आवश्यकता है तथा प्रभावी वसूली तथा मुआवजे के लिए "योग्य मूल्यांकन विशेषज्ञों की नियुक्ति" की आवश्यकता पर बल दिया।
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