पोस्टर फाड़े जाने से इलाके में तनाव, बैनर फाड़ना वामपंथियों की संस्कृति!

आज मुख्य सड़क के ऊपर जो बैनर लगाया गया है उसे फाड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे पहले कई बार पुलिस प्रशासन के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है इसलिए इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।

author-image
Sneha Singh
New Update
JAHA AARA

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: रानीगंज के सियार सोल के रथतला इलाके में माकपा प्रत्याशी जहांआरा खान के पोस्टर फाड़े जाने से तनाव पसर गया। इसे लेकर माकपा नेता संजय प्रमाणिक ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब वामपंथियों के चुनाव प्रचार को इस तरह से बाधा पहुंचाई गई है इससे पहले भाजपा और टीएमसी द्वारा वामपंथियों के दीवार लेखन को मिटा कर अपना नाम लिख दिया गया था। आज मुख्य सड़क के ऊपर जो बैनर लगाया गया है उसे फाड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे पहले कई बार पुलिस प्रशासन के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है इसलिए इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वामपंथियों द्वारा जो दीवार लेखन किया गया था उसे टीएमसी तथा भाजपा द्वारा मिटा दिया गया और आज इस बैनर को फाड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि दरअसल यह दोनों पार्टियां नहीं चाहती कि वामपंथी सत्ता में न आए क्योंकि यह जानते हैं कि अगर वामपंथी सत्ता में आए तो उनकी लुट खसोट की राजनीति बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अब वह पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करेंगे यह आखरी बार है अगर इसके बाद इस तरह की कोई घटना होती है तो वह सड़क जाम कर देंगे। 

वही इस बारे में जब रानीगंज के टीएमसी टाउन अध्यक्ष रूपेश यादव से बात की गई  तो उन्होंने कहा कि संजय प्रमाणिक द्वारा जो आरोप टीएमसी पर लगाए जा रहे हैं वह सरासर गलत हैं। रुपेश यादव ने कहा कि संजय प्रमाणिक कभी अपने एसी कमरे से बाहर निकलकर राजनीति नहीं करते हैं अगर वह ऐसा करते तो उनको पता चलता है कि जिस ऊंचाई पर वह बैनर लगाया गया था उस ऊंचाई पर कोई भी गाए या बकरी उस बैनर को फाड़ सकती है। उन्होंने कहा कि बैनर फाड़ना तृणमूल कांग्रेस की संस्कृति नहीं है यह वामपंथियों की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि जब यहां पर वामपंथियों का राज था तब तृणमूल कांग्रेस के लिए बैनर पोस्टर लगाना या दीवार लेखन करना असंभव हो गया था उन्होंने कहां के वामपंथियों के पैरों तले जमीन नहीं है इस वजह से वह इस तरह की बे बुनियाद बातें कर रहे हैं। रुपेश यादव ने कहा कि आज की तारीख में पुलिस प्रशासन मुख्य चुनाव आयोग के अधीन है अगर ऐसा कुछ हो रहा है तो वह पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस दीवार लेखन को मिटाने की बात कही जा रही है शायद उस दीवार के मालिक नहीं चाहते कि वामपंथी उस दीवार पर लिखें। आज संजय प्रमाणिक ने कहा कि अब अगर ऐसा हुआ तो दूसरी व्यवस्था ली जाएगी। रूपेश यादव ने कहा कि जिस दूसरी व्यवस्था की बात संजय प्रमाणिक कह रहे हैं अगर बिना किसी सबूत के इसी तरह बार-बार तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाते रहे तो वह दूसरी व्यवस्था तृणमूल कांग्रेस द्वारा ली जाएगी। वहीं भाजपा नेता दिनेश सोनी ने कहा कि वामपंथी जितना कम बोले उतना अच्छा है क्योंकि वह राजनीति तो भारत में करते हैं लेकिन उनका मन चीन और वियतनाम में पड़ा रहता है। उन्होंने कहा कि वामपंथियों में राष्ट्रीय भावना नाम की कोई चीज नहीं है। 

उन्होंने कहा कि 34 सालों में वामपंथियों का यहां पर शासन था लेकिन यहां पर विकास नाम की कोई चीज नहीं हुई। जब वामपंथी सत्ता में आए थे तब से लेकर 2011 तक बंगाल की हालत एक ही रही। दिनेश सोनी ने कहा कि विरोधियों के बैनर पोस्टर फाड़ना भाजपा के संस्कृति नहीं है। आज भारत के विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां पर विरोधी पक्ष के नेता और कार्यकर्ता बेहद सुकून से अपना काम कर रहे हैं और वहां पर लोकतांत्रिक माहौल है लेकिन बंगाल में जब भी चुनाव होता है तभी अहिंसा होती है और यह आज से नहीं वामपंथियों के जमाने से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस और माकपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यहां पर वह दिखावे के लिए एक दूसरे का विरोध करते हैं लेकिन दिल्ली में एक टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं। वही शत्रुघ्न सिन्हा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अभिनेता के तौर पर वह शत्रुघ्न सिन्हा की इज्जत करते हैं लेकिन एक सांसद के तौर पर वह कितने सफल हैं यह सबको पता है।