रानीगंज धर्मराज पूजा में हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा (Video)

रानीगंज के वार्ड संख्या 33 स्थित धीवर पाड़ा, जो वर्तमान में धर्मराज पाड़ा के नाम से जाना जाता है, वहा तीन दिवसीय धर्मराज पूजा श्रद्धापूर्वक सम्पन्न हुई। कहा जाता है कि यहां धर्मराज पूजा की शुरुआत जगन्नाथ देव की स्नान यात्रा के दिन से हुई थी और

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Jagganath Mondal
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रिया, एएनएम न्यूज़ : रानीगंज के वार्ड संख्या 33 स्थित धीवर पाड़ा, जो वर्तमान में धर्मराज पाड़ा के नाम से जाना जाता है, वहा तीन दिवसीय धर्मराज पूजा श्रद्धापूर्वक सम्पन्न हुई। 

कहा जाता है कि जगन्नाथ देव की स्नान यात्रा के दिन से ही यहां धर्मराज पूजा शुरू हुई थी और करीब 700 साल पहले बल्लाल सेन के समय से नाथ परिवार के एक सदस्य ने गंगा स्नान करते समय धर्मराज शिला प्राप्त की थी। पिछले कुछ पीढ़ियों से, उस नाथ परिवार के सदस्यों को सियारसोल राजघराने की शाही उपाधि से सम्मानित कर, उन्हें दास की उपाधि दी गई है और दास की उपाधि प्राप्त परिवार के सदस्य पीढ़ियों से रानीगंज के सियारसोल गांव क्षेत्र में धर्मराज पूजा करते आ रहे हैं। उस परिवार का हर सदस्य निरंतरता बनाए रखते हुए एक विशेष दिन पूजा में भाग लेता आ रहा है।

धर्मराज पूजा की कई विशेषताएं यहां देखी जा सकती हैं। यही कारण है कि यहां धर्मराज पूजा अन्य सभी पूजाओं से बहुत अलग है। जैसे कि, जब तक धर्मराज ठाकुर के सिर पर रखा कमल का फूल धर्मराज ठाकुर के सिर से उतरकर दियासी यानी वंश में पूजा के प्रभारी व्यक्ति के हाथ में नहीं आ जाता, तब तक कोई भी धर्मराज ठाकुर के मंदिर से बाहर नहीं जा सकता और धर्मराज ठाकुर भी बाहर नहीं जाएंगे। जब फूल दियासी के हाथ में आ जाएगा, तभी मंदिर से धर्मराज की यात्रा शुरू होगी।

उसके बाद ठाकुर स्नान यात्रा पर निकलते हैं, जहां हजारों लोग ठाकुर को चतुर झूला में स्नान के लिए ले जाते हैं, धर्मराज ठाकुर की स्नान यात्रा पूरी होने के बाद आम लोग उस जल में स्नान कर खुद को पवित्र करते हैं। हर साल की तरह इस साल भी हजारों भक्तों की मौजूदगी में भक्तों ने भक्त लोटन के माध्यम से धर्मराज बाबा की पूजा अर्चना शुरू की। और इन सबके बीच कुछ ही देर में पूजा का विशेष क्षण शुरू हो गया, मंदिर में शक्ति शैल पूजा के साथ। दोपहर बाद धर्मराज बाबा राजसी वेश-भूषा में राजमहल के लिए प्रस्थान कर गए, यहीं से भक्तों की अपनी मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति की बारी शुरू हुई। इस बार करीब 235 भक्तों ने बाबा धर्मराज के लिए ब्रत किए। धर्मराज के मंदिर परिसर में भक्तों ने विभिन्न तपस्याएं करके अपनी मन्नतें पूरी की हैं।