उस समय जमीन के बदले में नौकरी (Job) की मांग पर जमीन दी गई थी लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी जमीन के बदले में उनकी नौकरी अभी भी विभिन्न समस्याओं में फंसी हुई है।
टोनी आलम, एएनएम न्यूज: ईसीएल (ECL) ने 2017 में भूमि अधिग्रहण किया था। पट्टा भुमि मालिकों का दावा है कि उस समय पट्टा भूमि मालिकों ने भूमि के बदले नौकरी की मांग करते हुए ईसीएल के साथ एक समझौता किया। उस समय जमीन के बदले में नौकरी (Job) की मांग पर जमीन दी गई थी लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी जमीन के बदले में उनकी नौकरी अभी भी विभिन्न समस्याओं में फंसी हुई है। इसी को लेकर करीब 30 पट्टाधारकों ने मंगलवार से ईसीएल के सोनपुर बाजारी क्षेत्र कार्यालय के समक्ष अनशन मंच बनाया और नौकरी की मांग को लेकर भूख हड़ताल (hunger strike) पर बैठ गए।
पांडवेश्वर (Pandaveshwar) निवासी एक जमीनदाता ने बताया कि ईसीएल ने जमीन के बदले नौकरी देने का वादा कर उनसे जमीन ली थी। जमीन का अधिग्रहण सात साल पहले किया गया है और उस जमीन पर ईसीएल का कोयला उत्पादन कार्य शुरू हो चुका है। लेकिन उस जमीन के बदले में करीब 30 पट्टाधारकों के पास अब भी कोई नौकरी नहीं है। वे जमीन के बदले नौकरी की मांग को लेकर ईसीएल के विभिन्न कार्यालयों में गए, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला। इस बारे में अनशन कर रहे एक व्यक्ति बादल घोष ने कहा कि विजय 5 तारीख से विभिन्न पट्टा धारक अनशन कर रहे हैं। इनमें से अरिंदम रुईदास और देवाशीष बाग बीमार पड़ गए हैं। कहा गया है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो आने वाले समय में और बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।