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Plotting after demolishing government property in Salanpur
राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : सालानपुर प्रखंड के अचरा ग्राम पंचायत के पनुरिया रोड किनारे सरकारी पुलिया एवं नाली प्लॉटिंग कारोबार की चपेट में आकर गायब हो गया। जिससे जल निकाशी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
वही मामले में कथित तौर पर इलाके के 'रुद्र रेजीडेंसी' नामक एक प्लॉटिंग कंपनी का नाम सामने आ रहा है। यह आरोप लग रहा है कि उक्त कारोबारियों द्वारा प्लॉटिंग कर जमीन को बेचने की लालच में सरकारी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया हैं, यही नही नियम-कानून को ताक पर रख पूरा कार्य चल रहा है।
स्थानीय अचरा ग्राम पंचायत, प्रखंड प्रशासन इस अन्याय को आँखें मूंदकर देख रही है। घटना न केवल अचरा, बल्कि पूरे सालानपुर प्रखंड की एक गहरी समस्या को दर्शाती है। यह पुलिया पनुरिया रोड पर कृष्णमोहन मैरिज हॉल के पास इलाके के बारिश के पानी निकाशी के लिये बनाई गई थी। जिससे बारिश के समय ग्रामीणों को समस्या ना हो। जिसे सरकारी व्यय से बनाया गया था। परंतु प्लॉटिंग कारोबारियों की नजर में सब कुछ अपना समझ सरकारी संपति को भी नष्ट किया जा रहा है। लगातर बारिश के बाद इलाके में जल जमाव से परेशान ग्रामीण अब जाये कहा। पानी का रास्ता अवरुद्ध है और पनुरिया रोड जलमग्न है। जिससे पैदल चलने वालों लोगो को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दिनदहाड़े पुलिया एवं नाली को ध्वस्त कर मिट्टी भर दिया गया लेकिन किसी ने कुछ नही कहा। क्यों? क्या कोई सब के जेब चुप रहने का तोहफा पहुँच गया है? या फिर पंचायत के कुछ लोग पैसों के लालच में मुँह बंद किए हुए हैं?
अगर रुद्र रेजीडेंसी अपनी जमीन पर प्लॉटिंग कर रहे है, तो सड़क के किनारे सरकारी पुलिया, नाली को ध्वस्त कर पीडब्ल्यूडी जमीन का उपयोग क्यों कर रहे है। अपनी ज़मीन पर दीवार खड़ी किए बिना सरकारी पुलिया को ध्वस्त करने की हिम्मत कहा से आई? क्या कोई इजाज़त ली गई है? अगर नहीं, स्थानीय प्रशासन मामले में चुप क्यों है। जबकि उक्त कलवर्ट एवं नाली पीडब्ल्यूडी की ज़मीन पर थी, तो तोड़फोड़ की इजाज़त किसने दी? पंचायत की खामोशी देखकर ऐसा लगता है, जैसे पैसों के लालच में उन्होंने 'चुप रहने' की कसम खा ली हो।
जलभराव के कारण सड़क चलने लायक नहीं रही। क्या यह 'विकास' सिर्फ़ चंद लोगों की जेबें भरने के लिए है? या यही सालानपुर का नया 'विकास मॉडल' है? यह घटना सिर्फ़ अचरा की नहीं, बल्कि पूरे सालानपुर प्रखंड की एक गंभीर समस्या है। तालाबों और नालों को भरकर ज़मीन बेचकर लाखों रुपये कमाए जा रहे हैं। ग्रामीणों की पीड़ा के बारे में कोई नहीं सोच रहा। पुलिया तोड़ने के बाद, ठेकेदार नई पुलिया बनाने के नाम पर अपनी जेबें भर रहे हैं। यह लूट कब रुकेगी? या फिर सरकारी पैसे और लोगों की पीड़ा से कोई बड़ा घोटाला हो रहा है? पंचायत के कुछ लोग इस खेल में 'मूक भागीदार' बनकर बैठे हैं।
घटना से कई सवाल उठते हैं :
सरकारी संपत्ति को नष्ट करने की इजाज़त किसने दी? अगर इजाज़त नहीं थी, तो इसे रोका क्यों नहीं गया?
अपनी ज़मीन पर दीवार खड़ी किए बिना पुलिया कैसे तोड़ दी गई?
पंचायत चुप क्यों है? क्या किसी की जेबें पैसों से भरी जा रही हैं?
क्या जलभराव की समस्या के चलते नई पुलिया बनाने से ठेकेदारों को फिर से फ़ायदा होगा?
क्या इस विनाश की सज़ा सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रहेगी?
ग्रामीणों की पीड़ा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
रुद्र रेजीडेंसी की ज़मीन बेचने का धंधा भले ही उनका अपना हो। लेकिन उन्हें सरकारी संपत्ति छूने का हक़ किसने दिया? क्या ग्रामीणों की पीड़ा का उन्हें ज़रा भी एहसास नहीं हुआ? पीडब्ल्यूडी की ज़मीन पर बनी पुलिया तोड़ने से पहले किससे 'सेटिंग' हुई? ज़मीन की चारदीवारी हटाए बिना पुलिया कैसे ढक दी गई? इन सवालों का जवाब कौन देगा? या फिर सब 'चुपचाप' रहेंगे? यह विनाश सिर्फ़ एक पुलिया की कहानी नहीं, पूरे सालानपुर में सरकारी संपत्ति की लूट की तस्वीर है। ज़मीन बेचने के नाम पर ग्रामीणों के फ़ायदे-नुक़सान का ख़्याल किए बिना सरकारी संपत्ति को नष्ट किया जा रहा है। इस मामले में पंचायत की चुप्पी और भी संदेह पैदा करती है। क्या वे सचमुच पैसों के लालच में अपना मुँह बंद रखे हुए हैं? या अब यही सालानपुर का 'विकास मॉडल' है? ग्रामीण चीख-चीख कर कह रहे हैं कि इस घटना की जाँच हो और दोषियों को सज़ा मिले। लेकिन क्या प्रशासन उनकी सुनेगा? या फिर ये खेल चलता रहेगा? सरकारी संपत्ति बचाने के लिए कड़ी कार्रवाई ज़रूरी है। पंचायत में शामिल लोगों का पर्दाफ़ाश होना ज़रूरी है। वरना ग्रामीणों की पीड़ा और टैक्स का पैसा सिर्फ़ लूट बनकर रह जाएगा। पनुरिया रोड की शांति अब पानी में डूब चुकी है। क्या प्रशासन इस पानी से शांति लाएगा, या ज़मीन बेचने का ये धंधा चलता रहेगा?
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