/anm-hindi/media/media_files/2025/08/12/aadhaar-card-2025-08-12-17-34-53.jpg)
Aadhaar card
स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के इस रुख को बरकरार रखा कि आधार को नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता, तथा इस बात पर जोर दिया कि इसका स्वतंत्र रूप से सत्यापन किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त संशोधन (एसआईआर) को चुनौती देने वासुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!ली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति कांत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, "चुनाव आयोग का यह कहना कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, सही है। इसकी पुष्टि की जानी चाहिए।"
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पहला सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग के पास सत्यापन का अधिकार है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "अगर उनके पास अधिकार नहीं है, तो सब कुछ खत्म हो गया है। लेकिन अगर उनके पास अधिकार है, तो कोई समस्या नहीं हो सकती।"
सिब्बल ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर मतदाता, खासकर वे मतदाता बाहर हो जाएँगे जो आवश्यक फ़ॉर्म जमा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 2003 की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को भी नए फ़ॉर्म भरने होंगे और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके निवास स्थान में कोई बदलाव न होने पर भी उनके नाम हटा दिए जाएँगे।
/anm-hindi/media/agency_attachments/7OqLqVqZ67VW1Ewake8O.png)