WBCS Exam में हिंदी और उर्दू भाषी विद्यार्थियों का अब क्या होगा ?

यह 300 अंको का प्रश्नपत्र होगा पहले पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (West Bengal Civil Service) की परीक्षा मैं बांग्ला के साथ-साथ हिंदी उर्दू नेपाली भाषा में भी विद्यार्थी परीक्षा दे पाते थे लेकिन नए नोटिफिकेशन से हिंदी और उर्दू को हटा दिया गया है।

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Jagganath Mondal
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WBCS Exam

What will happen now to Hindi and Urdu speaking students

टोनी आलम, एएनएम न्यूज: हाल ही में पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसमें यह कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (WBCS) की परीक्षा में बांग्ला या नेपाली भाषा के प्रश्न पत्र में पास करना अनिवार्य होगा। यह 300 अंको का प्रश्नपत्र होगा पहले पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (West Bengal Civil Service) की परीक्षा मैं बांग्ला के साथ-साथ हिंदी उर्दू नेपाली भाषा में भी विद्यार्थी परीक्षा दे पाते थे लेकिन नए नोटिफिकेशन से हिंदी और उर्दू को हटा दिया गया है। इसके खिलाफ आज रानीगंज (Raniganj) के अंजुमन इमदाद ए बाहिमी कार्यालय में अंजुमन इमदाद ए वाहिमी तथा कारवां ए अदब नामक संस्थाओं की तरफ से विरोध जताया गया और एक संवाददाता सम्मेलन (press conference) किया गया। इस बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सेवानिवृत्त शिक्षक मुबारक अली मुबारकी ने बताया कि पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस की परीक्षा में जिस तरह से हिंदी और उर्दू भाषा को हटा दिया गया है। इससे इन दो भाषा के विद्यार्थियों को काफी परेशानी होगी इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और कम से कम 6 सालों के लिए इस फैसले को स्थगित रखें। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में किसी भी हिंदी या उर्दू माध्यम स्कूल में बांग्ला अनिवार्य नहीं है। इस वजह से हिंदी और उर्दू भाषी बच्चे बांग्ला का अध्ययन नहीं कर पाते ऐसे में अगर पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस की परीक्षा में अचानक उनको बांग्ला प्रश्नपत्र वह भी 300 अंकों का उसे पास करने के लिए कहा जाए तो वह असफल ही होंगे। इसलिए उन्होंने कहा कि इस बारे में एक पत्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखा गया है। जिसमें उन से अनुरोध किया गया है कि विभिन्न हिंदी और उर्दू माध्यम स्कूलों में बांग्ला को कक्षा 5 से लेकर कक्षा 10 तक अनिवार्य किया जाए। जिससे कि हिंदी और उर्दू भाषी बच्चे बांग्ला सीख सके तब 6 साल के बाद राज्य सरकार अपने फैसले को लागू कर सकती है तब तक जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दिया जाए उन्होंने कहा कि वह लोग शांतिपूर्ण तरीके से आवेदन निवेदन करके ही अपनी बात मुख्यमंत्री तक रख सकते हैं और उनको पूरा भरोसा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नाम के अनुरूप ममता दिखाएंगी और इस फैसले को अगले 6 सालों के लिए स्थगित रखेंगी। इस मौके पर मुबारक अली मुबारकी के अलावा डॉक्टर साबरा खातुन हीना, डॉक्टर मोहम्मद शमशेर आलम, अधिवक्ता कलीम खान, सेवानिवृत्त शिक्षक फिरोज खान, शिक्षक अबू हैदर और शाहनवाज हुसैन आदि उपस्थित थे।