राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : सालानपुर ब्लॉक के बारभुई के ग्रामीणों ने राशन वितरण में मिले खराब आटे के साथ सोमवार बीडीओ कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन। खराब आटे को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, और प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ सुलगता प्रतिरोध सोमवार साफ बीडीओ कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों के आंखों में दिखाई दिया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि राशन के नाम पर लोगों को जबरन खराब आटे को लोगो को दिया जा रहा है। हाथों में आटे के पैकेट लिए हैं, कहा "इंसानों के खाने लायक नहीं आटे को गरीबों को खाने के लिये दिया जा रहा है। आटा को सड़क पर फेंक ग्रामीणों ने सवाल पूछा कि यह आटा हमें कैसे दिया जा रहा है? क्या प्रशासन खुद इस आटे को खाएगा?" ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि दिन-ब-दिन, महीने-दर-महीने पश्चिम बर्दवान में राशन व्यवस्था गरीबों को ठगने का घिनौना खेल खेल रही है। /anm-hindi/media/post_attachments/4f45292c-7d2.png)
सलानपुर में यह शिकायत नई नहीं है। बार-बार शिकायतें की गईं, अखबारों में खबरें छपीं, शिकायतें दर्ज की गईं। लेकिन नतीजा क्या निकला? प्रशासन ने आटे की जांच करके 'क्लीन चिट' दे दी। यह कैसी जांच है, जिसके नतीजे गरीबों के पेट में आग लगा रहे हैं? यह कैसा प्रशासन है, जो गरीबों के गुस्से को नजरअंदाज कर उनकी पीड़ा का मजाक उड़ा रहा है? आज बारभुई के ग्रामीणों ने न सिर्फ आटे के पैकेट फेंके, बल्कि अन्याय के खिलाफ अपना जायज गुस्सा भी निकाला।
उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, "यह आटा बीडीओ साहब को खिलाओ, तभी वे समझ पाएंगे कि इसकी गुणवत्ता कितनी घटिया है!" ये शब्द सिर्फ गुस्सा ही नहीं, बल्कि प्रशासन की गैरजिम्मेदारी की तीखी आलोचना भी हैं। उन्होंने राशन डीलरों पर भी उंगली उठाई है। इतनी घटिया सामग्री क्यों बांटी जा रही है? क्या डीलरों की लापरवाही और प्रशासन की खामोशी एक ही धागे में पिरोई गई है? राशन व्यवस्था गरीबों के लिए जीवन रेखा मानी जाती है। लेकिन जब वही जीवन रेखा जहरीली हो जाती है, जब वह गरीबों के पेट में छुरा घोंपती है, तो यह सिर्फ अव्यवस्था नहीं बल्कि एक सुव्यवस्थित शोषण है। यह आटा सिर्फ आटा नहीं है, यह गरीबों पर थोपे गए अन्याय का प्रतीक है। प्रशासन की चुप्पी और क्लीन चिट का नाटक गरीबों की पीड़ा को और गहरा करता दिखता है। /anm-hindi/media/post_attachments/fc105ffa-33f.png)
ग्रामीणों का सवाल है, "हम गरीब हैं, तो क्या हमें यह अखाद्य भोजन निगलना होगा?" यह सवाल सिर्फ सालानपुर का नहीं है, यह हर उस गरीब की आवाज है, जिसे राशन के नाम पर आज ठगा जा रहा है। आज का विरोध सिर्फ विरोध नहीं है, यह एक जागृति है। गरीब लोग अब चुप नहीं रहेंगे। वे अब अखाद्य भोजन नहीं निगलेंगे। वे गुणवत्तापूर्ण राशन, पारदर्शी व्यवस्था और जिम्मेदार प्रशासन की मांग कर रहे हैं। अगर गुस्से की इस आग ने प्रशासन को नहीं जगाया, तो यह आग और बड़ी, और तेज होगी क्या प्रशासन इस आक्रोश को सुनेगा या गरीबों के शोषण का यह खेल जारी रहेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है - बारभुई की यह आग सिर्फ सालानपुर में नहीं है, यह हर शोषित व्यक्ति के दिल में फैल रही है।
सोमवार को बारभुई के ग्रामीणों ने हाथ में आटे के पैकेट लेकर बीडीओ कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। जब वे बीडीओ को ज्ञापन देने गए तो बीडीओ ने दो लोगों को आने को कहा और अंत में उन्होंने बीडीओ कार्यालय के बाहर ज्ञापन और आटे के पैकेट को चिपका दिया और बिना बीडीओ को ज्ञापन दिये लौट गये। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर आने वाले दिनों में उन्हें घटिया राशन दिया गया तो वे इस आंदोलन को और बढ़ाएंगे।
वही इस संदर्भ में बीडीओ देबांजन विश्वास ने कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम की पहले से कोई जानकारी नहीं थी। हालांकि दो लोगों को आने के लिए कहा गया था, लेकिन वे नहीं आए। मामले में खाद्य विभाग के सब-इंस्पेक्टर बिनेश्वर रॉय ने कहा कि उन लोगों ने पहले भी शिकायत की थी। और जाँच की गई लेकिन सब ठीक था।