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Maithon dvc
राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : डीवीसी (दामोदर वैली कॉर्पोरेशन) के मैथन और पंचेत जलाशयों से बारिश के बाद भारी मात्रा में बिना सूचना के पानी छोड़े जाने के आरोपों को लेकर मंगलवार को मैथन डीवीसी प्रशासनिक कार्यालय के सामने प्रदर्शन। वही जल छोड़े जाने के बाद पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा करने के लिए डीवीसी के जल-निकासी को जिम्मेदार ठहराते हुए, झारखंड प्रदेश तृणमूल कांग्रेस के बैनर तले एक जन-प्रतिनिधिमंडल और विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें राज्य के कानून और श्रम मंत्री मलय घटक उपस्थित थे।
सुबह से ही तृणमूल कार्यकर्ता और समर्थक मैथन के कंबाइंड बिल्डिंग कार्यालय के सामने जुटना शुरू हो गए। विरोध स्थल पर आसनसोल नगर निगम के उप महापौर अभिजीत घटक, झारखंड तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व सहित पश्चिम बर्धमान जिले के विभिन्न ब्लॉकों से आए नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
विरोध का मुख्य मुद्दा था— कि डीवीसी राज्य सरकार को सूचित किए बिना एकतरफा ढंग से पानी न छोड़े। उनका दावा है कि अचानक पानी छोड़ने के कारण पश्चिम बंगाल के कई जिले—विशेष रूप से बाँकुड़ा, हुगली, पश्चिम एवं पूर्व बर्धमान के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए हैं। लोगों के घर, खेत, यहाँ तक कि पूजा का बाज़ार भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
विरोध के बाद, पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल डीवीसी कार्यालय गया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। उक्त ज्ञापन में माँग की गई थी— कि भविष्य में पानी छोड़ने से पहले राज्य सरकार को अवश्य सूचित किया जाना चाहिए और डीवीसी की कुप्रबंधन से हुए नुकसान की पूरी ज़िम्मेदारी डीवीसी प्राधिकरण को लेनी होगी। प्रभावित लोगों को मुआवज़ा भी उन्हें ही देना होगा।
मंच से मंत्री मलय घटक ने कड़े लहजे में चेतावनी दी। उनके शब्दों में, “अगर पहले से बताए बिना पानी छोड़ा जाता है, तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। ज़रूरत पड़ने पर मैथन, पंचेत और यहाँ तक कि कोलकाता में भी डीवीसी के कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। राज्य के लोगों के नुकसान की ज़िम्मेदारी डीवीसी नहीं टाल सकता।”
वही विरोध के कारण आम जनता की परेशानी और डीवीसी का पक्ष! हालाँकि, इस विरोध प्रदर्शन के दिन आम लोगों की परेशानी की तस्वीर भी सामने आई। डीवीसी कार्यालय के घेराव के लिए कई एसबीएसटीसी (SBSTC) बसें हटा लिए जाने से रोज़ाना यात्रा करने वाले यात्रियों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों की ऑफिस की टाइमिंग छूट गई, तो कुछ घंटों तक सड़क किनारे इंतज़ार करते रहे। स्थानीय निवासियों ने कटाक्ष किया— “बाढ़ का विरोध करने गए, पर यात्रियों के जीवन में छोटा-मोटा परिवहन-बाढ़ तो तृणमूल ने ही ला दी!”
दूसरी ओर, डीवीसी प्राधिकरण का दावा है कि पानी छोड़ने से पहले दोनों राज्य सरकारों को अग्रिम सूचना दी जाती है। डीवीसी प्रशासन ने यह भी बताया है कि एक सक्रिय व्हाट्सएप ग्रुप में रोज़ाना की जानकारी का आदान-प्रदान किया जाता है।
विरोध को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज़ हो गई है। एक तरफ तृणमूल का आरोप है— “डीवीसी केंद्र के अधीन संस्थान है, इसलिए राज्य को मुश्किल में डालने के लिए यह फैसला लिया गया,” दूसरी ओर, डीवीसी का स्पष्टीकरण है— “सब कुछ नियमों का पालन करते हुए किया गया है।”
राज्य के मंत्री मलय घटक की चेतावनी और डीवीसी का जवाब, इन दोनों के बीच जो नई राजनीतिक लहर बह रही है, वह अब दोनों राज्यों में चर्चा का केंद्र बिंदु है। मैथन का जल अब राजनीति की लहर बन चुका है— और यह लहर इतनी आसानी से थमने वाली नहीं है।
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