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Gold medalist Prabhakar Kisku
टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : कहते हैं भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें खोज कर तराशा नहीं जाता इस वजह से बहुत से प्रतिभाएं असमय हो जाती हैं। जामुड़िया के प्रभाकर किसकु इसकी एक बहुत बड़े मिसाल हैं। पिछले साल अगस्त महीने में उन्होंने नेपाल के पोखरा में आयोजित इंडो नेपाल गेम्स में बॉक्सिंग के 80 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने निश्चित रूप से भारत और जामुड़िया का नाम विश्व पटल पर रोशन किया था, लेकिन आज भी प्रभाकर और उनके परिवार गरीबी में रहने को मजबूर है। हमने जब प्रभाकर से बात की उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्हें बॉक्सिंग का शौक था और 15 वर्ष की आयु से बॉक्सिंग कर रहे हैं। आज बहुत खुश हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। भले ही उन्हें आर्थिक रूप से लाभ नहीं मिला लेकिन उन्हें इस बात की खुशी जरूर है कि उन्होंने अपने सपने को पूरा किया।
उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके पास कोई काम नहीं है और कभी-कभार मजदूरी का काम कर लेते हैं। लेकिन इस तरह से कितना दिन वह चला पाएंगे। इसे लेकर वह अभी से चिंतित है। उन्होंने कहा कि उनके पास रहने को अपना घर भी नहीं है और फिलहाल वह अपने मामा के घर में रह रहे हैं। उनके साथ उनकी मां है, सरकार की तरफ से अगर उन्हें घर भी उपलब्ध करा दिया जाए तो काफी बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि वह सरकार से ज्यादा कुछ नहीं मांग रहे हैं। बॉक्सिंग में अपने खेल को और निखारने के लिए जो कुछ चाहिए वह बस वही मांग रहे हैं कि सरकार उन्हें वह सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए।
इस बारे में जब हमने प्रभाकर के माँ सरोज मनी से बात की तो उन्होंने भी कहा कि उनका बेटा काफी प्रतिभावान है। उसने विश्व स्तर पर प्रतियोगिता जीती है, लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है। आज भी उनके पास अपना घर नहीं है। वह अपने भाई के घर पर रहने को मजबूर है। उन्होंने कहां के अगर सरकार की तरफ से उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिल जाए तो काफी अच्छा होगा और वह चाहते हैं कि सरकार उन्हें आवास योजना के तहत एक घर उपलब्ध कराए।
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