विवादों के घेरे में शुभदर्शनी हॉस्पिटल, चिकित्सा में लापरवाही का आरोप

वही इस मामले में अस्पताल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेशन का कार्यभार संभालने वाले डॉक्टर शुभेंदु सरकार ने बताया की अस्पताल के लिए एक व्यक्ति सिर्फ एक मरीज होता है, लेकिन वह मैरिज किसी परिवार के लिए सब कुछ हो सकता है।

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Jagganath Mondal
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Shubhdarshini Hospital in Raniganj

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : रानीगंज का शुभदर्शनी हॉस्पिटल एक बार फिर अभी विवादों के घेरे में है इस बार जामुड़िया क्षेत्र के बेनाली इलाके की एक 20 वर्षीय लड़की की मौत की वजह से लड़की के परिवार के लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर चिकित्सा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर बवाल काटा। आपको बता दें कि रविवार को जामुड़िया के ख्वाजा नगर की रहने वाली शेख मोहिद की बेटी सोनारा खातून को उल्टी दस्त और शरीर में दर्द के लक्षणों की वजह से शाम 6:00 बजे के बाद रानीगंज के शुभ दर्शनी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। डॉ अभिजीत घोष की देखरेख में उन्हें भर्ती किया गया था। लेकिन मरीज के परिजनों का आरोप है कि उनकी मरीज को भर्ती होने के समय से लेकर मरीज के दम तोड़ने के बाद भी लगभग 11:00 तक भी डॉक्टर का कोई अता पता नहीं था। उनका कहना है कि यह दिखाता है कि अस्पताल में मरीज के इलाज को लेकर कितनी लापरवाही बरती गई। इसके खिलाफ उन्होंने आज अस्पताल परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वह इसे लेकर प्रशासन में शिकायत दर्ज कराएंगे ।

वही इस मामले में अस्पताल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेशन का कार्यभार संभालने वाले डॉक्टर शुभेंदु सरकार ने बताया की अस्पताल के लिए एक व्यक्ति सिर्फ एक मरीज होता है, लेकिन वह मैरिज किसी परिवार के लिए सब कुछ हो सकता है। इसलिए इस मामले को बेहद मानवता की नजर से देखने की आवश्यकता है और उनका अस्पताल इस इस तरह से देख भी रहा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस महिला की मृत्यु हो गई। उन्होंने साफ कहा कि अस्पताल की तरफ से आंतरिक जांच की जाएगी। जिस आंतरिक जांच की प्रक्रिया में मरीज के परिजनों को भी सम्मिलित किया जाएगा और इसकी तह तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना दोबारा ना घटे। उन्होंने कहा कि अगर मरीज के परिजन आंतरिक जांच के निष्कर्ष से संतुष्ट नहीं होते हैं तो बाहरी निष्पक्ष एजेंसी के द्वारा भी जांच के लिए अस्पताल प्रबंधन तैयार है।

वहीं अस्पताल के एक और अधिकारी इंद्रजीत बोस ने बताया कि मरीज के परिजनों द्वारा जो लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं वह सही नहीं है। मरीज को बेहद खराब अवस्था में लाया गया था उसका होमोग्लोबिन एक परसेंट पर आ गया था। उन्होंने कहा इतने कम मात्रा में जिस मरीज के शरीर में खून है उसको बचाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा पूरी कोशिश की गई। दो बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। इसके अलावा सीपीआर दिया गया और अभी तमाम तरह के चिकित्सा गतिविधियों की गई। लेकिन बार-बार मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी जिसके बारे में लगातार मरीज के परिजनों को जानकारी दी जा रही थी। यहां तक की वेंटीलेटर में मरीज को स्थानांतरित करने से पहले जो प्रक्रिया होती है वह भी की गई थी। मरीज के परिजनों को बताया गया था उनसे हस्ताक्षर करवाए गए थे उसके बाद ही मरीज को वेंटिलेटर पर ले जाया गया था। इसलिए यह कहना कि मरीज की बिगड़ती हालत को लेकर परिजनों को पता नहीं था यह सही नहीं है। 

वही जब उनसे पूछा गया कि रानीगंज में इतने सारे हॉस्पिटल हैं बार-बार इसी अस्पताल में इस तरह की घटनाएं क्यों होती है तो उन्होंने कहा कि वह दो महीना पहले ही यहां पर आए हैं इसलिए इससे पहले क्या हुआ था इसकी जानकारी उनको नहीं है। उनके रहते हैं यह पहला मामला हुआ है जहां किसी मरीज की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा हर एक मरीज को स्वस्थ करने का पूरा प्रयास किया जाता है। इसके लिए यहां पर चिकित्सा सेवा में जुड़े सभी कर्मचारी पूरी शिद्दत से काम करते हैं, लेकिन इस मामले में मरीज की हालत पहले से ही काफी खराब थी। डॉक्टरों की लाख कोशिशें के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अस्पताल प्रबंधन और ज्यादा प्रयास करेगा, साथ ही मरीज के परिजनों के साथ किसी तरह की संवाद हीनता ना हो इसका भी प्रयास किया जाएगा।