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Shri Vinay Kumar Bajpai
एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : इस दुनिया में जहाँ अधिकतर लोग अपने करियर और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की दौड़ में उलझे रहते हैं, वहीं कुछ विरले लोग ऐसे भी होते हैं जो आत्मा की पुकार को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे ही एक दुर्लभ व्यक्तित्व हैं इस्को स्टील प्लांट (SAIL ISP), बर्नपुर के मुख्य महा प्रबंधक (Finance and Accounts) श्री विनय कुमार बाजपेयी जी।
विनय सर हर परिस्थिति में शांत, संयमित और सकारात्मक ऊर्जा से भरे हुए विनय सर, एक सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका में थे। उनकी मुस्कान केवल चेहरे का भाव नहीं बल्कि आत्मा की स्थिरता का प्रतीक थी। उनकी पहचान केवल एक अनुभवी Finance अधिकारी की नहीं थी, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की थी जिनकी मुस्कान हर दिल को सुकून देती थी। उनकी सोच पारंपरिक सीमाओं से परे थी। वे हर कार्य में नवीनता, पारदर्शिता और समझदारी लाते थे। वे फाइलों में नहीं, लोगों में विश्वास करते थे।
तीन वर्षों से CGM पद पर सफलता पूर्वक कार्यरत विनय सर की कार्यशैली, ईमानदारी और दूरदर्शिता को देखते हुए यह स्पष्ट था कि वे कम से कम कार्यपालक निदेशक (वित्त) के पद तक तो अवश्य पहुँचते और शायद SAIL के निदेशक (वित्त) भी बन सकते थे। लेकिन उन्होंने इस सबको त्याग दिया। क्यों?
क्योंकि उनकी आत्मा उन्हें उनके जन्मभूमि की सेवा के लिए पुकार रही थी। सूत्रों के मुताबिक लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित अपने पैतृक गाँव में अब विनय सर समाज सेवा के कार्यों में जुटेंगे। उन्होंने वहाँ कच्ची मिट्टी से घर बनवाए हैं, गाँव के स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का निश्चय किया है, और किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी देने का लक्ष्य तय किया है। यह कदम केवल सेवा का नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक है। यह इस बात का साक्ष्य है कि सच्ची संतुष्टि पद, पैसे और प्रतिष्ठा से नहीं बल्कि सेवा और सादगी में है। वे हमेशा आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते थे, लेकिन साथ ही दूसरों को साथ लेकर चलने का विश्वास भी दिलाते थे। उनका योगदान न केवल आंकड़ों में, बल्कि सैकड़ों कर्मचारियों की सोच में दर्ज हो गया है।
जानकारी के मुताबिक उनकी पत्नी स्वयं SAIL-DSP में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। उनकी दो बेटियाँ हैं बड़ी बेटी विदेश में कार्यरत हैं और छोटी बेटी IIM गया में अध्ययनरत हैं। यानी हर दृष्टिकोण से उनका जीवन व्यवस्थित है। लेकिन इसके बावजूद विनय सर ने अपने गाँव को चुना - वहाँ की मिट्टी, वहाँ की ज़रूरतें और वहाँ का भविष्य उनका नया कर्मक्षेत्र है।
जब आज के समय में लोग रिटायरमेंट के बाद भी संविदा पर बने रहना चाहते हैं, तब विनय सर ने अपने पद और करियर को अलविदा कहकर यह बता दिया कि सेवा केवल दफ्तरों की चारदीवारी में सीमित नहीं होती। सेवा वहीं सच्ची होती है जहाँ दिल से की जाती है, बिना किसी स्वार्थ के। उनकी यह यात्रा पद से परे, प्रतिष्ठा से ऊपर और आत्मा की शांति के लिए है। श्री विनय कुमार बाजपेयी जी सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक आदर्श हैं, एक आंदोलन, एक प्रेरणा, एक ऐसी रोशनी जो आने वाली पीढ़ियों को सही रास्ता दिखाएगी। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि सबसे बड़ी उपाधि इंसानियत होती है और सबसे बड़ा ओहदा सेवा।
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