जल्द वेतन भुगतान की मांग पर आवाज बुलंद, पूरे क्षेत्र में आंदोलन तेज (Video)

सुबह से ही विभिन्न कोलियरियों और क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने श्रमिक एकजुट होकर प्रदर्शन करते रहे। जल्द से जल्द वेतन भुगतान की मांग को लेकर हर स्थान पर आवाज बुलंद की गई।

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Jagganath Mondal
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Protests against delays in salary payments

Protests against delays in salary payments

टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ : ईसीएल में वेतन भुगतान में हो रही देरी के विरोध में केकेएससी का आंदोलन पूरे क्षेत्र में तेज हो गया। सुबह से ही विभिन्न कोलियरियों और क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने श्रमिक एकजुट होकर प्रदर्शन करते रहे। जल्द से जल्द वेतन भुगतान की मांग को लेकर हर स्थान पर आवाज बुलंद की गई।

गुरुवार को कुनुस्तोड़िया क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय के बाहर संगठन के महामंत्री हरेराम सिंह उपस्थित होकर श्रमिकों के वेतन भुगतान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने ने कहा कि ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है इसे लेकर आंदोलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 8 तारीख को कॉर्पोरेट जेसीसी की बैठक हुई थी उसमें कोलियरी प्रबंधन के उसे प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया जिसमें कोलियरी प्रबंधन द्वारा हर महीने के 22 तारीख को वेतन देने की बात कही गई थी। कॉर्पोरेट जेसीसी में यह फैसला हुआ कि हर महीने के 12 तारीख को ही कर्मचारियों का वेतन देना होगा। उन्होंने कहा कि कल अगर ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कर्मचारियों का वेतन का भुगतान नहीं होता तो 14 तारीख को इस क्षेत्र के सभी श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि बैठेंगे और आने वाले समय में इस आंदोलन को किस तरह से आगे बढ़ाना है इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि कोलियरी प्रबंधन की तरफ से उन्हें बताया गया है कि अप्रैल महीने से लेकर आज तक ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को 600 करोड रुपए का घाटा हुआ है। यह घाटा क्यों हुआ इसके बारे में कई बातें कही गई हैं। लेकिन हरेराम सिंह ने बताया कि उनका मानना यह है के केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही यह घाटा हुआ है। उन्होंने पहले ही खदानों को निजी हाथों में देने से मना किया था लेकिन जिस तरह से खदानों को नीचे हाथों में दे दिया गया है इस वजह से कोयले के खरीदार काम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले एनटीपीसी हो या डीवीसी या अन्य राष्ट्रीय संस्थान वह सीधे कोलियरीयों से कोयले की खरीदारी करते थे लेकिन अब यह राष्ट्रीय संस्थान खुद कोयले का उत्पादन कर रहे हैं, जिस वजह से कोयले के खरीदार की संख्या कम हो गई है और यह समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि अगले 3 महीने में स्थिति में सुधार आएगा।