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Land mafia cells land worth crores of rupees multiple times using dead man signature complaint filed
राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : पश्चिम बंगाल के सालानपुर प्रखंड के आमझरिया मौजा में ज़मीन माफ़ियाओं ने एक अभूतपूर्व और सनसनीखेज कारनामा कर दिखाया है। एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस और भूमि विभाग को भी सकते में डाल दिया है, जहाँ 1984 में मृत घोषित किए जा चुके व्यक्ति के नाम पर 2011 में करोड़ों रुपये की ज़मीन कई बार बेची गई। इस 46 बीघा ज़मीन का वर्तमान बाज़ारी मूल्य लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये बताया जा रहा है।
मामला सालानपुर प्रखंड के आमझरिया मौजा (जेएल नंबर 34) की 15.28 एकड़ (लगभग 46 बीघा) ज़मीन से जुड़ा है। कानूनी उत्तराधिकारी के अनुसार, ज़मीन के असली मालिक हरिबल्लभ भादुड़ी का निधन 12 अक्टूबर 1984 को हो गया था। इसके बावजूद, 2011 में - यानी उनकी मृत्यु के लगभग 27 साल बाद - हरिबल्लभ भादुड़ी के हस्ताक्षर और नाम का उपयोग करके इस ज़मीन को बेचने के लिए दो विलेख (डीड) निष्पादित किए गए।
* पहली बिक्री (24 मई 2011): देवघर-मधुपुर के निवासी हरिबल्लभ भादुड़ी को विक्रेता बताकर, यह पूरी ज़मीन 13.80 लाख रुपये में आसनसोल के नदीम इकबाल और आमिर सिद्दीकी को बेची गई।
* दूसरी बिक्री (बाद में): इसी ज़मीन को दो अलग-अलग विलेखों(डीड) के माध्यम से छह अन्य व्यक्तियों को (7.46 एकड़ + 7.46 एकड़) बेच दिया गया।
छह खरीदारों - उज्ज्वल कुमार सेन, तपन सेन, शेख इश्तहार, सिंटू मंडल, दिनेश मंडल और विकास दत्त - को तब धोखाधड़ी का पता चला जब वे ज़मीन का कब्ज़ा लेने गए और पाया कि यह पहले ही बिक चुकी थी। उन्होंने खुद को ठगा हुआ मानकर, ज़मीन पाने की उम्मीद छोड़ दी थी।
यह मामला तब सामने आया जब 2011 की बिक्री के 14 साल बाद, यानी बीते 1 दिसंबर 2025 को, आसनसोल निवासी हरीश शर्मा ने सालानपुर थाने में केस नंबर 198/25 के तहत एक लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है कि ज़मीन की वैध उत्तराधिकारी हरिबल्लभ भादुड़ी की बहू गार्गी भादुड़ी हैं। गार्गी ने इस ज़मीन की देखरेख के लिए हरीश शर्मा और उनके सहयोगी अनंत आर्य को मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) दिया है। हरीश शर्मा ने आरोप लगाया है कि 1984 में मृत व्यक्ति के नाम पर 2011 में हुई पूरी बिक्री अनैतिक और भ्रष्ट है।
हरीश शर्मा और अनंत आर्य जब प्रखंड बी.एल.एल.आर.ओ. कार्यालय में ज़मीन का लगान जमा करने गए, तब उन्हें पता चला कि ज़मीन पहले से ही अन्य लोगों के नाम पर रजिस्ट्री की हुई है। पुलिस जांच अधिकारी और बी.एल.एल.आर.ओ. दोनों ही असमंजस की स्थिति में हैं। बी.एल.एल.आर.ओ. अधिकारी ने बताया कि मामले में अबतक उनके पास कोई शिकायत नही आई है। शिकायत मिलते ही जांच की जायेगी।
जांच अधिकारियों के सामने अब कई यक्ष प्रश्न खड़े हैं:
* 2011 में हरिबल्लभ भादुड़ी बनकर कौन सा व्यक्ति रजिस्ट्री करने आया था?
* गार्गी भादुड़ी ने 2025 में मुख्तारनामा दिया, तो 2011 की बिक्री का लगान वे अब क्यों जमा करने गए?
* क्या पहले के खरीदारों ने कभी ज़मीन का लगान भरा था?
* इस करोड़ों की ज़मीन का वास्तविक हकदार कौन है?
ज़मीन से जुड़े मामलों के एक अनुभवी व्यक्ति ने बताया कि यह बड़ी बंजर ज़मीन लंबे समय से खाली पड़ी थी और इसकी कीमत कम थी। लेकिन हाल ही में ईसीएल द्वारा कोलियरी विस्तार के लिए इस क्षेत्र की ज़मीन के अधिग्रहण की ख़बरें आने लगी हैं। ई.सी.एल. अधिग्रहण के कारण ही 14 लाख रुपये की कीमत वाली यह ज़मीन आज साढ़े चार करोड़ रुपये की हो गई है। यही कारण है कि भू माफ़िया इस भारी भरकम रकम के प्रलोभन में आकर सक्रिय हो गए हैं।
पुलिस का कहना है कि वे बहुत सावधानी से जांच कर रहे हैं और सच्चाई सामने आने में कुछ समय लगेगा। आमझरिया मौजा की इस करोड़ों की संपत्ति का रहस्य क्या है, यह जानने के लिए सभी को जांच पूरी होने का इंतज़ार है।
मालूम हो कि यह नया मामला नहीं है जब ऐसा घटना हुई है। प्रखंड में भू माफिया का राज है और इसी तरह से भू माफिया खाली भूमि को हड़प कर बिक्री कर देते है। हालांकि प्रायः हर बार मामले में लीपापोती कर करोड़ों की भूमि को हड़पने का मामला सामने आते रहते है।
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