केजी अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों ने की मांग

रेल प्रशासन से एक मानवीय अपील की - कि उन्हें फिर से काम पर रखा जाए। मांग कर रहे सुरक्षा कर्मी दीपक गोप, तारशंकर दा, अभिजीत मंडल, नरेश प्रसाद और कई अन्य शामिल हैं। 

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Jagganath Mondal
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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : चित्तरंजन केजी अस्पताल में कार्यरत 12 निजी सुरक्षाकर्मियों बीते एक साल कार्य करने के बाद भी उनके भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है। चित्तरंजन रेल शहर के केजी अस्पताल में कार्यरत इन सुरक्षा गार्डों ने शनिवार को अस्पताल परिसर में खड़े होकर मांग किया कि अस्पताल में सुरक्षा का जिमेदारी लेने वाली कंपनी में उन्हें नियोजन दिया जाये एवं बीते 5 माह का बकाया वेतन का भुगतान किया जाये। रेल प्रशासन से एक मानवीय अपील की - कि उन्हें फिर से काम पर रखा जाए। मांग कर रहे सुरक्षा कर्मी दीपक गोप, तारशंकर दा, अभिजीत मंडल, नरेश प्रसाद और कई अन्य शामिल हैं। 

उन्होंने ने बताया कि वे पिछले एक साल से कोलकाता की एक निजी एजेंसी 'एन.एस.एस'' के माध्यम से अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे थे। लेकिन, उनका आरोप है कि उन्हें पिछले पांच महीनों से वेतन नहीं मिला है। नियमानुसार उन्हें भविष्य निधि (पी.एफ.) और स्वास्थ्य बीमा (ई.एस.आई.) जैसी सुविधाएँ भी ठीक से नहीं मिलीं रही है जिसके कारण वेतन भुगतान में समस्या आ रही है। फिर भी, वे पूरी निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उनका कहना है, “हम गरीब परिवार से हैं। यह काम ही हमारे परिवार को चलाने का एकमात्र सहारा है।”

वर्तमान में, अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा एक नई ठेकेदार एजेंसी को सौंप दिया गया है, जिससे उनके काम के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। यह अनिश्चित है कि नई ठेकेदार एजेंसी उन्हें काम पर रखेगी या नहीं। इस अनिश्चितता को दूर करने के लिए उन्होंने रेल प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है। उनकी अपील है, “हम फिर से वही काम करना चाहते हैं। हमारे पास अनुभव है, निष्ठा है, बस एक मौका चाहिए।”

यह स्थिति केवल कुछ कर्मचारियों के काम खोने का डर नहीं है, बल्कि यह एक बड़े मानवीय संकट का प्रतिबिंब है - जहाँ ठेकेदारी व्यवस्था की भूलभुलैया में श्रम का सम्मान खो रहा है। ऐसे समय में जब सरकार और संगठन 'श्रमिक कल्याण' के बारे में तरह-तरह की योजनाओं की बात कर रहे हैं, तब इन सुरक्षा गार्डों की दुर्दशा उन नीतियों के वास्तविक क्रियान्वयन की कमी को उजागर करती है। रेल प्रशासन से अनुरोध है - इन कर्मचारियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर उन्हें फिर से काम पर रखने की पहल की जाए। क्योंकि, एक साल की निष्ठा का इनाम अनिश्चितता नहीं हो सकती।