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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : सालानपुर प्रखंड में तेजी से फैल रहे सिलिकोसिस ने अब बाराबनी प्रखंड को भी अपने चपेट में ले लिया है। जिससे प्रखंड में निवासियों की चिंता बढ़ा दी है। गुरुवार सिलिकोसिस मेडिकल बोर्ड की बैठक में सालानपुर प्रखंड के दो एवं बाराबनी प्रखंड में एक श्रमिकों में सिलिकोसिस की पुष्टि से हड़कम्प मच गया है। मालूम हो कि सालानपुर में बीते साल से अबतक सिलिकोसिस मरीजों की लागतार बढ़ती संख्या और मौत से पहले ही इलाके में प्रदूषण एवं पत्थर क्रेशर के संचालन पर सवाल खड़े हो गये है। सालानपुर समेत बाराबनी बाराबनी में चल रहे अवैध कई पत्थर क्रेशर सिलिकोसिस को दावत दी रहे है जिसका शिकार गरीब श्रमिक हो रहा है जिसका पहचान एवं कार्यवाही की मांग करने के बावजूद बस जांच के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को रफादफा करने का आरोप उठता रहा है।
गुरुवार सिलिकोसिस बोर्ड ने सालानपुर प्रखंड के कस्कूली इलाके के आदित्या मंडल नामक व्यक्ति के पत्थर क्रेशर के श्रमिक सियाकुलबेड़िया निवासी हराधन बाउरी एवं अलकुसा डीएमसी नामक पत्थर क्रेशर के श्रमिक बोलकुंडा फुलबेड़िया ग्रामपंचायत निवासी सरवन बाउरी में सिलिकोसिस की पुष्टि के बाद इलाके में भय का माहौल है।
वही बाराबनी प्रखंड में सिलिकोसिस की दस्तक ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। अभिरुप मिनरल्स के ऑपरेटर श्रमिक एथोड़ा निवासी सरजीत मंडल में पहली पुष्टि हुई है।
इलाके में अबतक पत्थर क्रेशर एवं सिरेमिक कारखनो में कार्यरत कई श्रमिक सिलिकोसिस की भेंट चढ़ चुके है। इलाके के कई अवैध पत्थर क्रेशर है जिनके खुले में एवं नियमों की अनदेखी कर संचालन के कारण इलाके में तेजी से फैल रहा है सिलिकोसिस। परन्तु इस बीमारी को रोकने के लिये प्रशासन की कार्यवाही प्रयाप्त नही दिख रही हैं।
वही इलाके में फैलते इस मौत पर कब लगेगी अंकुश? यह सवाल प्रखंड के हर व्यक्ति के मन मे उठ रहा है! इलाके में कईयों अवैध और वैध क्रेशर एवं सिरेमिक कारखाने संचालन हो रहा है जहाँ श्रमिकों के जान को दांव पर देकर कार्य कराया जा रहा है और यही नही स्थानीय श्रमिकों की जगह बिहार एवं झारखंड से श्रमिकों को मंगवा कर कार्य कराया जा रहा है जिससे बीमार होने के बाद श्रमिक अपने घर चले जायें और मामला दबा रहे। आखिर श्रमिकों के जीवन से खेल कबतक और क्यों चल रहा है? क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , फैक्ट्री डाइरेक्टोरेट, श्रम विभाग , स्थानीय पुलिस, प्रखंड प्रशासन एवं जिला प्रशासन मामले में गंभीरता से विचार नही करेंगे ?क्या श्रमिकों के जीवन का कोई मूल्य नही समझेंगे ?
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