पर्यटकों का उमड़ा हुजूम से मैथन में लोटी रौनक, नाव चालकों में जगी आश

बर्दवान से परिवार के साथ आईं पर्यटक सुदेष्णा सिंह ने इस अनुभव को 'अद्भुत' बताया। उन्होंने कहा, "शांत माहौल में नौका विहार करके बहुत अच्छा लगा।

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Jagganath Mondal
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Crowd of tourists in Maithon

Crowd of tourists in Maithon

राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : सर्दी की पहली दस्तक के साथ ही बंगाल-झारखंड सीमा पर स्थित मैथन  का थर्ड डाइक एक बार फिर से 'पिकनिक की राजधानी' के रूप में जीवंत हो उठा है। दिसंबर महीने की शुरुआत होते ही, रविवार को यह पूरा क्षेत्र पर्यटकों की चहलकदमी से गुलजार हो गया, जिससे स्थानीय दुकानदारों एवं नाव चालकों की जिंदगी में पूरे साल की कमाई की एक नई आशा जग उठी है।

पर्यटकों का उमड़ा हुजूम: उत्सव का माहौल

प्राकृतिक सौंदर्य से भरे हरे-भरे पहाड़ों और नीले जलाशय के बीच स्थित थर्ड डाइक का खुला मैदान, शीत ऋतु आते ही आकर्षण का केंद्र बन जाता है। राज्य समेत पड़ोसी राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों से पर्यटक बसों और निजी वाहनों से यहाँ पहुँच रहे हैं।
सुबह की चाय की चुस्कियां, नीले पानी को चीरती नावें, और पिकनिक की तैयारियों में व्यस्त भीड़ ने यहाँ उत्सव का माहौल बना दिया है। पर्यटक नौका विहार और खुले मैदान में पिकनिक का जमकर आनंद ले रहे हैं। बच्चों की दौड़-भाग, सेल्फी का उत्साह और जलाशय में पड़ती सूरज की चमक—इन सबने मिलकर थर्ड डाइक की सर्दियों वाली जीवंतता को वापस ला दिया है।

बर्दवान से परिवार के साथ आईं पर्यटक सुदेष्णा सिंह ने इस अनुभव को 'अद्भुत' बताया। उन्होंने कहा, "शांत माहौल में नौका विहार करके बहुत अच्छा लगा।

तीन महीने की 'सीज़न': नाव चालकों की आजीविका

यह पर्यटकों की भीड़ स्थानीय नाव चालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। साल भर मछली पकड़कर या छोटे-मोटे काम करके जैसे-तैसे गुजारा करने वाले इन लोगों के लिए, दिसंबर से फरवरी तक के ये तीन महीने ही वास्तविक 'सीज़न' होते हैं।
नाव चालकों ने सीज़न के लिए पहले ही अपनी नावों पर नया रंग चढ़ाया है, मरम्मत की है और उन्हें चमकाकर तैयार रखा है।

हसन अंसारी, एक अनुभवी नाव चालक, ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया, "पिकनिक सीज़न ही हमारा सहारा है। बाकी समय मछली पकड़कर जो मिलता है, उससे घर नहीं चलता। हम पूरे साल इन तीन महीनों की ओर देखते रहते हैं। हमें उम्मीद है कि इस बार भी अच्छी भीड़ होगी।"

15-20 वर्षों से नाव चला रहे मोहम्मद यूसुफ अंसारी भी इसी उम्मीद को दोहराते हैं: "दिसंबर मतलब सीज़न शुरू। इसी पैसे से पूरे साल घर चलता है। यह भीड़ देखकर लगता है कि हम फिर से जी उठेंगे।"

 व्यवस्था और स्वच्छता की पुकार

जहां एक ओर प्रकृति की सुंदरता और पर्यटन का उत्साह है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों ने ही साफ-सफाई और बेहतर व्यवस्था की कमी को उजागर किया है। पर्यटक सुदेष्णा सिंह ने टिप्पणी की कि, "थोड़ी साफ-सफाई की कमी दिखाई दी। अगर डस्टबिन, बैठने की जगह और थोड़ी देखभाल की व्यवस्था हो, तो निश्चित रूप से और भी लोग यहाँ आएंगे।"

नाव चालक हसन अंसारी ने भी प्रशासन से साफ-सफाई बनाए रखने की गुजारिश की है, ताकि पर्यटकों की संख्या और बढ़ सके। मैथन की यह सर्दी की सुबह केवल एक सुंदर तस्वीर नहीं है, बल्कि यह नाव के पतवार पर टिकी स्थानीय लोगों की आशा और आजीविका के संघर्ष की एक कहानी भी है। पर्यटकों की बढ़ती भीड़ के साथ, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन के थोड़े से ध्यान देने से उनका प्राकृतिक सौंदर्य सुरक्षित रहेगा और उनकी रोजी-रोटी की धूप-भरी मुस्कान भी कायम रहेगी।