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राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज़ : सालानपुर प्रखंड में तेजी से फैल रहे सिलिकोसिस की एक ओर मरीज की पुष्टि ने इलाके में सनसनी फैला दी है। सनद रहे लम्बे समय से सांस लेने की बीमारी से ग्रस्त फुलबेड़िया इलाके के पाताल, साधना निवासी 51 वर्षीय सोरेन बाउरी में सिलिकोसिस की पुष्टि के बाद इलाके में भय का माहौल है।
जानकारी के अनुसार सोरेन बाउरी मधाई चक इलाके के एक पत्थर क्रेशर में मशीन ऑपरेटर के रूप में बीते 10 सालों से कार्य कर रहे थे। बीमार होने के बाद कार्य छोड़ घर में बैठे और सिलिकोसिस से प्रतिदिन लड़ रहे है।
इलाके में अबतक पत्थर क्रेशर एवं सिरेमिक कारखानों में कार्यरत कई श्रमिक सिलिकोसिस की भेंट चढ़ चुके है। बर्तमान में प्रखंड में कुल जीवित 4 सिलिकोसिस के मरीज है जिसमें से सबसे अधिक बारभुई इलाके के है। वही एक सिलिकोसिस कार्ड धारक मरीज मणिलाल हेम्ब्राम कुछ माह पहले ही सिलिकोसिस से जंग हार कर मौत की नींद सो गये है। कथित तौर पर यह भी सामने आ रहा है कि बारभुई में बीते साल सांस लेनें की बीमारी से ग्रस्त क्रेशर एवं सिरेमिक कारखानो के श्रमिक की मौत हो गई जिसकी जांच नही हो पाई। हालांकि स्थानीय का मानना है कि उक्त मौत भी सिलिकोसिस बीमारी से हूई है क्योंकि श्रमिकों की मौत भी सांस की बीमारी के कारण हुई थी।
क्षेत्र में फैल रही इस मौत पर कब अंकुश लगेगा? यह सवाल प्रखंड के हर व्यक्ति के मन में उठ रहा है। क्षेत्र में कई अवैध क्रशर व सिरेमिक फैक्ट्री संचालित हो रहे हैं जहां मजदूरों की जान को दांव पर लगाकर काम कराया जा रहा है और इतना ही नहीं स्थानीय मजदूरों की जगह बिहार व झारखंड से मजदूरों को बुलाया जा रहा है ताकि बीमार होने के बाद मजदूर अपने घर चले जाएं और मामला दबा दिया जाए। आखिर मजदूरों की जान के साथ यह खेल कब तक और क्यों चलता रहेगा? क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कारखाना निदेशालय, श्रम विभाग, स्थानीय पुलिस, प्रखंड प्रशासन व जिला प्रशासन इस मामले पर गंभीरता से विचार नहीं करेगा? क्या वे मजदूरों की जान की कीमत नहीं समझेंगे?