एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: श्री गुरु हरकृष्न साहिब जी के पावन प्रकाश पूरब को समर्पित स्वर्गवासी मास्टर राजेंद्र सिंह एवं सरदार सुजान सिंह यादगिरी गुरुद्वारा साहिब मुर्गासाल, आसनसोल में गुरु गोबिंद सिंह स्टडी सर्किल पश्चिम बंगाल और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी आसनसोल के सहयोग से 16वां राग रतन कीर्तन मुकाबला का आयोजन किया गया।
इस मुकाबले में 5 वर्ष से 22 वर्ष की आयु के बच्चों ने हिस्सा लिया। इन प्रतियोगियों की सुर, लय, ताल एवं गुरबाणी शुद्धता की परख करने के लिए विशेष तौर से दिल्ली से बीबी हरजीत कौर, पटना साहिब से बीबी कुलवंत कौर और कोलकाता से भाई सतबीर सिंह पहुंचे। प्रथम वर्ग (5 से 10 वर्ष) में बेंडेल के हरसमरथ सिंघ ने प्रथम स्थान, धनबाद के तेजवीर सिंघ ने द्वितीय स्थान तथा बेंडेल की गुंजन कौर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
वही द्वितीय वर्ग (11 से 15 वर्ष) में बेंडेल की रवनीत कौर ने प्रथम स्थान, चीनाकुड़ी की हरप्रीत कौर ने द्वितीय स्थान एवं आसनसोल की तनिष्का कौर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
तृतीय वर्ग (16 से 22वर्ष) में महीजाम की अस्मित कौर ने प्रथम स्थान, पारबेलिया की अंतरजोत कौर ने द्वितीय स्थान एवं रानीगंज के अर्शकीरत सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
इस मौके पर गुरु गोविंद सिंह स्टडी सर्किल पश्चिम बंगाल के वर्ष 2023- 24 के कार्यों के चित्रों का संग्रह एल्बम के रूप में किया गया। जिसका विमोचन सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष सरदार तेजिंदर सिंघ, आसनसोल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार अमरजीत सिंघ, दुर्गापुर गुरुद्वारा कमेटी के सचिव सरदार दलविंदर सिंह, गुरु गोबिंद सिंह स्टडी सर्किल पूर्वी भारत के सचिव सरदार गुरविंदर सिंह, राज्य सचिव सरदार जसपाल सिंह, राज्य उपाध्यक्ष सरदार रमेश सिंह गंभीर, सांगठनिक सचिव सरदार रविंदर सिंह अतिरिक्त सचिव सरदार बलजीत सिंह कोषाध्यक्ष सरदार हरदीप सिंच कीर्तन इकाई के सचिव सरदार गुरदीप सिंह आसनसोल ईस्त्री इकाई की, उपाध्यक्ष बीबी रविंदर कौर सचिव बीबी जसबीर कौर, वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर दलजीत सिंह की उपस्थिति में किया गया।
सरदार गुरविंदर सिंह ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 35 बच्चों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को 2100,1500 और 1100 नगद इनाम देकर और सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस प्रतियोगिता से बच्चों में संगीत सीखने के लालसा पैदा होती है और साथ ही साथ गुरबाणी गायन कर बच्चे गुरु नानक साहिब जी के दर्शाने हुए पथ पर चलकर अपना जीवन सार्थक बना सकते हैं हर एक साल या प्रतियोगिता करवाई जाती है और बच्चों को प्रोत्साहन किया जाता है।