'माल' क्या है? इनाम या सज़ा क्या है?, विवाद में फंसे तृणमूल नेता

जो बूथ सबसे ज़्यादा लोगों को लाएगा उसे एक विशेष पुरस्कार दिया जाएगा। और जो ऐसा नहीं कर सकेगा वह 'माल' से वंचित रहेगा।

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Jagganath Mondal
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TMC leader caught in big controversy in Bhangar

TMC leader caught in big controversy in Bhangar

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : तृणमूल नेता बहारुल इस्लाम एक बार फिर भांगड़ में एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। तृणमूल नेता रज्जाक खान की हत्या के विरोध में आयोजित एक जुलूस में लोगों को इकट्ठा करते हुए, उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि जो बूथ सबसे ज़्यादा लोगों को लाएगा उसे एक विशेष पुरस्कार दिया जाएगा। और जो ऐसा नहीं कर सकेगा वह 'माल' से वंचित रहेगा। बहारुल की इस टिप्पणी ने एक तीखी राजनीतिक बहस और सवाल खड़े कर दिए हैं - आख़िर ये 'माल' क्या है? इनाम या सज़ा क्या है?

बहारुल इस्लाम न सिर्फ़ एक तृणमूल नेता हैं, बल्कि दक्षिण 24 परगना ज़िला परिषद के कृषि अधिकारी भी हैं। एक बैठक का वीडियो पहले ही वायरल हो चुका है, जिसमें बहारुल अपने बगल में बैठे तृणमूल विधायक शौकत मुल्ला के साथ यह फरमान जारी करते नज़र आ रहे हैं। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा, "जो बूथ सबसे ज़्यादा लोगों को लाएगा उसे एक अलग पुरस्कार दिया जाएगा। वीडियो बनाकर भेजा जाएगा। और जो ऐसा नहीं कर पाएगा उसे माल से वंचित कर दिया जाएगा।"

उन्होंने यह भी कहा, "पूजा के मौसम में विधायक पहले ही कह चुके हैं कि कोई भी घर छोड़ा नहीं जायेगा। इसलिए, चाहे बारिश हो या तूफ़ान, लोगों को सड़कों पर आना ही होगा।"

आखिर ये 'माल' क्या है? और इस 'इनाम' का स्रोत क्या है? कुछ लोग कहते हैं कि ये पैसे या राशन उत्पाद हो सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ये सरकारी लाभों का संदर्भ हो सकता है। लेकिन जो भी हो, एक जनप्रतिनिधि की ऐसी भाषा की तीखी राजनीतिक आलोचना हो रही है।

भाजपा नेता सजल घोष ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "तृणमूल में अब लोग नहीं बचे हैं। इसलिए उन्हें जुलूसों को 'सामग्री' से भरना पड़ता है। लोगों को डरा-धमकाकर और लालच देकर सड़कों पर उतारना तृणमूल की पुरानी चाल है।"

इस घटना ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, खासकर पंचायत चुनावों के बाद जहां बर्बरता बड़े पैमाने पर हुई थी - इस बार उसी जगह 'पुरस्कार-दंड' की छाया मंडरा रही है।