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Pind Daan
स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : तर्पण के पावन अवसर पर कृष्णापुर (कांकसा) में अजय नदी और दुर्गापुर में दामोदर नदी के तट एक भव्य मेले में परिवर्तित हो जाते हैं। अभी सूरज की पहली किरण भी नहीं फूटी होती, परंतु आसपास के गांवों और दुर्गापुर अनुमंडल के श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत होकर घाटों पर एकत्र हो जाते हैं।
हर किसी के हाथों में है — एक ओर तिल और दूध, जिन्हें वे अपने पूर्वजों को अर्पित करने आए हैं, और दूसरी ओर नदी का पवित्र जल, जो उनकी श्रद्धा का मौन साक्षी बनता है। घाटों पर गूंजती शंखध्वनि, मंत्रोच्चार की गूंज, और धूप की सौम्य सुगंध वातावरण को एक दिव्य ऊर्जा से भर देती है।
कुछ श्रद्धालु शांत मन से बैठकर विधिपूर्वक तर्पण कर रहे हैं, तो कुछ घाट की सीढ़ियों पर खड़े होकर आंखों में भीगी स्मृतियों के साथ अपने पितरों का नाम ले रहे हैं। यह अनुष्ठान केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा, कृतज्ञता और स्मरण का गहन भाव है — एक भाव जो पीढ़ियों को जोड़ता है।
ऐसा प्रतीत होता है मानो भक्ति की इस गहनता ने नदी के सतत प्रवाह को भी कुछ क्षणों के लिए मौन साधने को विवश कर दिया हो।
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