SIR पर भेजी गई रिपोर्ट पर चुनाव आयोग की कड़ी जाँच, प्रशासनिक हलकों में हंगामा

जिला प्रशासन की भेजी गई रिपोर्ट की जांच के बाद आयोग ने फिर से जानना चाहा - क्या यह सच है कि संबंधित बूथों पर किसी वोटर की मौत नहीं हुई? यह सवाल ERO और BLOs तक पहुंचा। इसे लेकर प्रशासनिक हलकों में भारी हंगामा शुरू हो गया है।

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Jagganath Mondal
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District administration's report on SIR to the Election Commission

District administration's report on SIR to the Election Commission

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : जैसे-जैसे राज्य में SIR (Special Intensive Revision) प्रोसेस आगे बढ़ रहा है, चिंता बढ़ती जा रही है। छूटे हुए नामों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। चुनाव आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अब तक जमा न हुए गिनती के फ़ॉर्म की संख्या 52,99,663 तक पहुँच गई है। यह संख्या सिर्फ़ एक दिन में लगभग 3 लाख बढ़ गई है।

कमीशन के डेटा के मुताबिक—
* मरे हुए वोटर्स की संख्या: लगभग 23 लाख
* बदला हुआ चुनाव क्षेत्र: 18 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा
* नहीं मिले: 9 लाख से ज़्यादा
* डुप्लीकेट एंट्री: 1 लाख 22 हज़ार

इस बीच, लंबे समय से विवाद के केंद्र में रहे बिना वोटिंग बूथ के मुद्दे में भी बड़ा बदलाव आया है। यह चार अंकों से घटकर एक अंक पर आ गया है। बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राज्य में ऐसे बूथों की संख्या अब केवल 7 रह गई है। 1 सितंबर को यह संख्या 2,208 थी।

पता चला है कि जिला प्रशासन की भेजी गई रिपोर्ट की जांच के बाद आयोग ने फिर से जानना चाहा - क्या यह सच है कि संबंधित बूथों पर किसी वोटर की मौत नहीं हुई? यह सवाल ERO और BLOs तक पहुंचा। इसे लेकर प्रशासनिक हलकों में भारी हंगामा शुरू हो गया है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक, अगर सेंट्रल इलेक्शन कमीशन ने ध्यान नहीं दिया होता, तो यह गलती रह सकती थी। कई लोगों को डर है कि इस गलती का असर फाइनल वोटर लिस्ट पर भी पड़ सकता था। हालांकि, जैसे-जैसे डेड बूथ की संख्या तेज़ी से कम हो रही है, एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि यह जल्द ही ज़ीरो हो सकती है।

सिर्फ नाम कटना ही नहीं—लगातार बढ़ती डेटा की गड़बड़ियां, लाखों वोटर्स का पता न लगा पाना—कुल मिलाकर, SIR प्रोसेस अब राज्य में बहस के केंद्र बना हुआ है।