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Lakshmi Puja
स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। अश्विन मास की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूर्णिमा और रास पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस तिथि के जितने नाम हैं, उतना ही इसका महत्व भी है। सर्दियों का मौसम शरद ऋतु शुरु होने से ठीक पहले आती है, इसलिए इसे शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस रात को भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास की थी, इसलिए इसका एक नाम रास पूर्णिमा है।
वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा की रात को धन और संपदा की देवी लक्ष्मी मां धरती पर विचरण करने के लिए आती हैं। लक्ष्मी मां के स्वागत के लिए लोग पूरी रात जागरण करते हैं इसलिए इसका एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी पड़ा। इस रात को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उन्हें अपने घर में सदा के लिए रोकने के उद्देश्य से विशेष तौर से कोजागरा पूजा करते हैं। आइए जानते हैं इस पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त।
पूजा मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, कोजागर पूजा रात के समय करते हैं। इसके लिए निशिता मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाता है। इस साल 6 अक्टूबर को कोजागर पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 11:45 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक है। इस समय में माता लक्ष्मी की पूजा करना सबसे अच्छी मानी जाती है। कोजागर पूजा के समय ध्रुव योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है।
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