जानिए बसंत पंचमी के दिन ही क्यों मनाया जाता है सरस्वती पूजा

उन्होंने सृष्टि में कुछ परिवर्तन करने के उद्देश्य से अपने कमंडल से जल निकाल कर उसे छिड़क दिया। जल के छिड़कते ही उसमें से एक पुंज प्रकाश से श्वेत वर्ण हंस पर सवार एक देवी प्रकट हुईं जो मां सरस्वती थीं।

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Kalyani Mandal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। जहां इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है वहीं इस दिन ज्ञान, कला और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। आखिर ऐसा क्या है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती की पूजा की जाती है? 

मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुईं थीं। उनके जन्मोत्सव के तौर पर यह पर्व मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु जी की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने संसार की रचना कि तो उन्होंने संपूर्ण सृष्टि में सब कुछ पाया लेकिन उन्होंने देखा कि सब मौन, शांत और दुःखी दिखाई दे रहे हैं। तब उन्होंने सृष्टि में कुछ परिवर्तन करने के उद्देश्य से अपने कमंडल से जल निकाल कर उसे छिड़क दिया। जल के छिड़कते ही उसमें से एक पुंज प्रकाश से श्वेत वर्ण हंस पर सवार एक देवी प्रकट हुईं जो मां सरस्वती थीं।