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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मोहम्मद अली जिन्ना ने 15 अक्टूबर 1936 को लखनऊ से वंदे मातरम के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने उस समय के कांग्रेस प्रेसिडेंट जवाहरलाल नेहरू का सिंहासन हिलते देखा। इसके बजाय, नेहरू मुस्लिम लीग के बेबुनियाद बयानों का कड़ा जवाब देते थे, उनकी बुराई करते थे, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
उन्होंने वंदे मातरम को ही टेस्ट करना शुरू कर दिया। नेहरू ने पांच दिन बाद नेताजी को एक चिट्ठी लिखी। उसमें उन्होंने जिन्ना की भावनाओं का समर्थन किया और लिखा कि वंदे मातरम का बैकग्राउंड अपने जोश के साथ मुसलमानों को आहत कर सकता है। उन्होंने लिखा - यही बैकग्राउंड है, इससे मुसलमान नाराज होंगे। कांग्रेस का बयान आया - 26 अक्टूबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग होगी, जिसमें वंदे मातरम के इस्तेमाल पर फिर से विचार किया जाएगा। देश में बहुत से लोगों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ सुबह की रैलियां कीं, लेकिन कांग्रेस ने वंदे मातरम को तोड़ दिया। इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए हैं।"
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