नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनीता बोस पुफ़ का जर्मनी में सम्मान

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर आधारित है, जिसमें नेताजी के जीवन के अनेक अनकहे पहलुओं को दुर्लभ और मौलिक तस्वीरों के साथ प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक नई पीढ़ी को नेताजी की सोच, साहस और त्याग से जोड़ने का कार्य कर रही है।

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Jagganath Mondal
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Hon'ble Shri Jaideep Mukherjee felicitated Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhas Chandra Bose in Germany

Hon'ble Shri Jaideep Mukherjee felicitated Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhas Chandra Bose in Germany

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील, ऑल इंडिया लीगल एड फोरम के महासचिव एवं अखिल भारतीय पूर्व सैनिक एवं देशभक्त नागरिक संघ (पंजी) के संरक्षक आदरणीय श्री जयदीप मुखर्जी ने जर्मनी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनीता बोस पुफ़ को फेलिसिटेट किया। यह अवसर भारत की स्वतंत्रता की अमर गाथा और नेताजी के योगदान को याद करने का एक ऐतिहासिक क्षण बना।

श्री जयदीप मुखर्जी न केवल एक प्रख्यात अधिवक्ता हैं बल्कि एक लेखक और समाजसेवी भी हैं। उनकी पुस्तक “Cheka (The Road of Bones)” नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर आधारित है, जिसमें नेताजी के जीवन के अनेक अनकहे पहलुओं को दुर्लभ और मौलिक तस्वीरों के साथ प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक नई पीढ़ी को नेताजी की सोच, साहस और त्याग से जोड़ने का कार्य कर रही है।

संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज यादव "रक्षक" ने संस्था की ओर से श्री मुखर्जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “यह हमारे संगठन का सौभाग्य है कि हमारे संरक्षक राष्ट्रभक्ति की इस भावना को विश्व स्तर पर जीवंत कर रहे हैं। नेताजी का जीवन हमें यह संदेश देता है कि राष्ट्रीयता, एकता और अखंडता ही भारत की असली पहचान है।”

संस्था के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार सिंह, उपाध्यक्ष शोभाराम गोठवाल, दुर्गेश यादव, दुष्यंत कुमार, अधिवक्ता अजित यादव, मनोज कुमार, राहुल खोखर, रजनीश चौबे, ओमप्रकाश, संतोष रेड्डी, तथा महिला विंग की पदाधिकारी शीला चौहान, निशु यादव, सपना तोमर आदि ने भी श्री मुखर्जी के इस प्रयास के लिए धन्यवाद और आभार प्रकट किया।

भारत की आज़ादी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अतुलनीय है। उनका दिया गया नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” आज भी देशवासियों में जोश और त्याग की भावना को जगाता है। इस प्रकार के सम्मान कार्यक्रम न केवल नेताजी के सपनों को जीवित रखते हैं बल्कि भारत की नई पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के पथ पर अग्रसर करते हैं।