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maa Shailputri
स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: आज से शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व आरंभ हो चुका है। इस मौके पर श्रद्धालुओं के बीच उल्लास और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घट स्थापना के बाद माता शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों को शुभ फल प्राप्त होता है और जीवन की तमाम कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
कौन हैं मां शैलपुत्री?
माता पार्वती का यह रूप पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण शैलपुत्री कहलाता है। उनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और दया से परिपूर्ण है। दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण कर माता अपने दिव्य तेज से विश्व को आलोकित करती हैं। शैलपुत्री माता का वाहन वृषभ है, इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है।
मां शैलपुत्री की महत्व :
आस्था है कि नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां का यह तपस्वी रूप साधना और धैर्य का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि उनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और हर प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से वातावरण में भक्ति और शक्ति का संचार होता है, जो पूरे नौ दिनों तक श्रद्धालुओं को उत्साह और ऊर्जा प्रदान करता है।
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