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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: सालों पहले गांव वाले कि जमीन अधिग्रहण करने के बावजूद इलाके में नहीं बन सका कारखाना, इसके विरोध में आज कारखाने के गेट के बाहर गांव के बेरोजगार युवाओं एवं जमीन मालिकों ने कड़ा विरोध जताते हुए गेट के सामने धरना दिया। 2008 से रेशमी कंपनी के कारखाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है। लेकिन अब तक फैक्ट्री नहीं बन पाई है, हिजलगोढ़ा के लोग दिन गिन रहे हैं कि कब यह फैक्ट्री बनेगी। एक स्थानीय निवासी ने कहा कि 2008 से, रेशमी कारखाने के निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है और कारखाने के लिए बाड़ लगाई गई है, लेकिन अबतक कारखाने का निर्माण नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों और फैक्ट्री अधिकारियों के साथ बार-बार बैठक करने के बावजूद कोई समाधान नहीं दिया जा रहा है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि फैक्ट्री क्यों नहीं चल रही है।
इस संबंध में फैक्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि जमीन संबंधी कुछ दिक्कतों के कारण वे फैक्ट्री का काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इस बारे में जब हमने गांव वालों से बात की तो इनका कहना है कि 2008 में रश्मि कंपनी द्वारा यहां पर कारखाना बनाने के लिए जमीन ली गई थी तब गांव वालों ने स्वेच्छा से यह सोचकर जमीन दी थी कि यहां पर कारखाना बनेगा तो स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा लेकिन 15 साल हो गए हैं। अभी तक कोई कारखाना नहीं लगा है और नहीं किसी को रोजगार मिला है। उन्होंने कहा कि 6 महीने पहले भी इसी मुद्दे पर यहां पर गांव वालों ने आंदोलन किया था तब कंपनी के अधिकारियों ने बैठक की थी और आश्वासन दिया था कि 200 लोगों को नियुक्ति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि 6 महीने हो गए हैं अभी तक एक भी व्यक्ति को नियुक्ति नहीं मिली है। इसी वजह से आज यह आंदोलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कारखाना प्रबंधन को यह साफ-साफ कहना होगा कि कब तक कारखाना शुरू होगा और जिन 200 लोगों को नियुक्ति देने की बात कही गई थी उनको कल से ही रोजगार देना होगा। उन्होंने कहा कि यहां पर यह भी बात है सुनने में आ रही है कि यहां पर जमीन माफिया जमीन को बेच रहे हैं। गांववालों का साफ कहना था कि अब गांव वालों का सब्र का बांध टूट रहा है और अब उनको साफ-साफ जवाब चाहिए।
इस बारे में जब हमने कंपनी के सीनियर मैनेजर से बात की तो उन्होंने कहा कि कंपनी ने यह जमीन कारखाना बनाने के लिए ली है अब अगर यहां पर कारखाना बनाने में देर हो रही है तो कंपनी को भी नुकसान हो रहा है इसलिए कंपनी भी चाहती है कि जल्द से जल्द यहां पर कारखाना बने और उत्पादन शुरू हो लेकिन कुछ घर ऐसे हैं जो जमीन देने के लिए कुछ ऐसे शर्ते रख रहे हैं जो बहुत मुश्किल है। कहा जा सकता है कि वह प्रबंधन को ब्लैक मेलिंग कर रहे हैं उन्होंने आंदोलन कर रहे गांव वालों से अनुरोध किया कि वह उन लोगों को समझाएं और वह जिस तरह से बेहद कठिन शर्तें रख रहे हैं उसे लेकर उन लोगों से बात करें ।उन्होंने कहा कि 6 महीने पहले भी इस मुद्दे पर एक आंदोलन हुआ था और तब प्रबंधन द्वारा गांव वालों के 26 कमेटी को एक सूची देने के लिए कहा गया था जिसमें 200 लोगों के नाम होंगे जिनका रोजगार दिया जाएगा। लेकिन अभी तक गांव वालों की तरफ से ऐसी सूची नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि इस बारे में जिला शासक से लेकर स्थानीय ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी तथा स्थानीय नेतृत्व सबको कहा गया है। प्रबंधन भी चाहता है कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान निकाला जा सके क्योंकि कंपनी द्वारा इस जमीन को कारखाना बनाने के लिए खरीदा गया है। आप अगर यहां पर कारखाना नहीं बनता तो कंपनी का ही नुकसान है। इसलिए कंपनी भी जाती है कि यहां पर जल्द से जल्द कारखाने का निर्माण पूरा हो और उत्पादन शुरू होता कि यहां के लोगों को काम मिल सके।
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