/anm-hindi/media/media_files/1GPT4044jO38Lc2uIcPV.jpeg)
टोनी आलम, एएनएम न्यूज: आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व दुर्गापुर (Durga Puja) फरीदपुर प्रखंड के इच्छापुर पंचायत अंतर्गत अमलौका गांव (Amlauka village) के बनर्जी घर (Banerjee's house) की दुर्गा पूजा प्राचीन परंपरा के अनुसार पूजा की जाती है। यहां वैष्णवों के अनुसार देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, इसलिए कोई बलि प्रथा नहीं है। वर्तमान में बनर्जी परिवार में 57 सदस्य हैं। वे अभी भी अपने प्रयास से पूजा जारी रखे हुए हैं। प्राचीन काल में इस माता का मंदिर ताल के पत्तों से ढका हुआ मंदिर था। बनर्जी परिवार के सदस्यों ने 16 साल पहले मंदिर को नया रूप दिया था। वर्तमान बनर्जी परिवार के सदस्य करुणामय बनर्जी ने कहा कि लगभग 400 साल पहले, उनके वंश के पूर्वज रामयादव बनर्जी ने इस दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी। अमलौका गांव में बनर्जी के घर की दुर्गा बड़े दुआर की दुर्गा के नाम से भी उस क्षेत्र में जाने जाते है। बनर्जी परिवार के सभी सदस्य पूजा के चार दिन एक साथ खाना खाते और आनंद उत्सव मनाते हैं। यहां दुर्गा पूजा में एक विशेष प्रक्रिया होती है जो आमतौर पर अन्यत्र देखने को नहीं मिलती है।
यहाँ कोई बलि अनुष्ठान नहीं है, फिर भी एक विशेष नाड़ु बलि अनुष्ठान है। यह नाड़ु बोली प्रक्रिया महाअष्टमी के दिन होती है। हालाँकि,नाड़ु बलिदान नाम के बावजूद भी, बलिदान में किसी भी हथियार का उपयोग नहीं किया जाता है। परिवार के सदस्यों को भक्ति भाव से नाड़ु तैयार करना पड़ता है और मां दुर्गा के सामने चंदन की लकड़ी पर एक लंबा नाड़ु बनाकर रखा जाता है। परिवार ने बताया कि सही मुहूर्त पर नाड़ु अपने आप दो हिस्सों में बंट जाते है। बनर्जी परिवार के दुर्गा मंदिर के बगल में शिव और राधा माधव का मंदिर हैं। पिछले 400 सालों से यहां रोजाना पूजा होती आ रही है।
/anm-hindi/media/agency_attachments/7OqLqVqZ67VW1Ewake8O.png)