2013 सीपीआईएम-टीएमसी कार्यकर्ताओं का बलिदान! वोट आया तो कांप गई छाती

खून-खराबे की राजनीति बंद करो। 15 जुलाई 2013 को पंचायत चुनाव के दौरान आतंकवाद के कारण सीपीएम कार्यकर्ता शेख हसमत सागा (Sheikh Hasmat Saga) और तृणमूल कार्यकर्ता राजेश कोरा की हत्या कर दी गई थी।

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Sneha Singh
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CPIM-TMC workers

टोनी आलम, एएनएम न्यूज: पंचायत चुनाव (Panchayat elections) फिर सामने हैं। मतदान के बाद राजनीतिक हिंसा (political violence) जारी रही। ऐसे में दो पतिहीन महिलाओं ने आतंकवाद को रोकने के लिए याचिका दायर की है। खून-खराबे की राजनीति बंद करो। 15 जुलाई 2013 को पंचायत चुनाव के दौरान आतंकवाद के कारण सीपीएम कार्यकर्ता शेख हसमत सागा (Sheikh Hasmat Saga) और तृणमूल कार्यकर्ता राजेश कोरा की हत्या कर दी गई थी। जामुड़िया के मधुडांगा में बमबारी और हैकिंग की घटनाएं हुईं। तभी दोनों की मौत हो गई। सीपीएम कार्यकर्ता शेख हसमत सागर की पत्नी मोनोवारा बीबी (Monowara Bibi) और तृणमूल कार्यकर्ता राजेश कोरा की पत्नी गीता कोरा पानी में गिर गईं। उस खूनी दिन को 10 साल बीत चुके हैं। लेकिन जब वोट (vote) आया तो मनोवारा बीबी और गीता कोदर की छाती कांप गयी। 

मनवारा ने कहा कि 'मैं खबरों में देखता हूं कि जब वोट पड़ता है तो लोग मर जाते हैं। सिर्फ सत्ता हथियाने के लिए यह खून-खराबा बंद करें। इससे कितने लोगों के परिवार बर्बाद हो रहे हैं? दूसरी ओर, गीता कोड़ा की दलील है, 'चाहे हत्या राजनीतिक कारण से हो या किसी अन्य कारण से, हत्या बंद होने दीजिए। वोट जीतना या हारना आखिरी बात नहीं है। मानव जीवन का मूल्य बहुत अधिक है। 

उन्होंने कहा कि उन्हें यह सोचकर डर लगता है कि अगर वे वहां नहीं होते तो उनके परिवार का क्या होता। उन्होंने शिकायत की कि पार्टी उनके साथ नहीं खड़ी है।  मंत्री मलय घटक से बार-बार काम मांगा गया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। आख़िरकार उनके बेरोजगार गॉडफ़ादर ने उनकी और दोनों बच्चों की ज़िम्मेदारी संभाली। 

2013 में चुनाव के दिन क्या हुआ था?

मनवारा बीबी सीपीएम की उम्मीदवार थीं। सीपीएम ने आरोप लगाया कि मतदान की सुबह चुरुलिया पंचायत के मधुडांगा बूथ के बाहर उनके उम्मीदवार मोनवारा के पति हसमत पर तृणमूल ने बम फेंका। हसमत की मौत हो गई। उसी स्थान पर एक घंटे के भीतर "जवाबी कार्रवाई"। तृणमूल का आरोप है कि सीपीएम कार्यकर्ताओं ने राजेश कोरा के सिर पर वार कर उनकी हत्या कर दी। हालांकि, दोनों पार्टियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। 

इस घटना के बाद तृणमूल राजेश की पत्नी गीता के साथ खड़ी रही। राजेश की पत्नी को 2015 में आसनसोल पूर्णिगम चुनाव में तृणमूल का टिकट दिया गया था। गीता भी पार्षद बनीं। गीता ने बताया कि राजेश की मौत के वक्त उनके दो बेटे रौनक और मानव पांच और तीन साल के थे। अब वे नौवीं और सातवीं कक्षा के छात्र हैं। लेकिन गीता को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। परिवार में दो जीजा-साले और राजेश की बड़ी बहन है।

मनवारा ने उस पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की। लेकिन उस वक्त बेटा जुल्फिकार 10 साल का था और बेटी जुलेखा महज एक साल की थी। अतः पति की मृत्यु पर विजय की कोई खुशी नहीं थी। इसके बजाय उनपर जैसे आसमान टुट पड़ा। किसी किसी महीने पार्टी की ओर से 2000 रुपये दिये गए। फिलहाल उनके पिता के घर की आर्थिक मदद से ही किसी तरह परिवार चल रहा है। हसमत एक निजी बिजली कंपनी में काम करता था।