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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: आरजी कर मामले में फंसे संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) पहले ही आवेदन कर चुकी है। लेकिन पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के कुछ नियम हैं और इस मामले में आरोपी की सहमति जरूरी है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सियालदह के एसीजेएम को संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट पर अंतिम फैसला लेने का निर्देश दिया। हालांकि, न केवल सिविक वालंटियर संजय रॉय बल्कि पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी सीबीआई ने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मांग की है। इनमें चार अन्य डॉक्टर भी हैं जो उस रात आरजी में अध्ययन कर रहे थे।
लेकिन यह पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है? क्या इस टेस्ट से सच सामने आता है? इस संदर्भ में पूर्व केंद्रीय खुफिया अधिकारी गदाधर चट्टोपाध्याय ने कहा कि यह मूल रूप से झूठ पकड़ने वाली मशीन है। पूर्व जासूस ने कहा कि पहले इन सभी मामलों में थर्ड डिग्री से टॉर्चर किया जाता था। लेकिन अब शरीर की ताकत दिखाना संभव नहीं है, बल्कि बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ता है।
और झूठ बोलना इंसान की फितरत है। तो इसमें कुछ वैज्ञानिक बातें हैं। वैसे तो भारत में यह पॉलीग्राफ टेस्ट कई सालों से होता आ रहा है, लेकिन अब अमेरिका में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। आम तौर पर सवाल पूछने पर इंसान का शरीर-दिमाग अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। शरीर की इन सामान्य और असामान्य प्रतिक्रियाओं को पॉलीग्राफ टेस्ट के ग्राफ के ज़रिए देखा जाता है।
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