Cyber ​​crime : डेटा चोरों और अंधेरे बाजार का हुआ पर्दाफाश

जिसमें आधार संख्या और पासपोर्ट विवरण शामिल हैं, को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। इस व्यापक डेटा की कीमत 80,000 डॉलर लगाई जा रही है।

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Kalyani Mandal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : हाल के दिनों में भारत (india) में साइबर सुरक्षा घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इससे नागरिक और अधिकारी इस सवाल से जूझ रहे हैं कि व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों की खतरनाक घटनाओं के पीछे कौन है, और उनकी प्रेरणा क्या है? बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा और ई-कॉमर्स सहित कई क्षेत्रों में कई हाई-प्रोफ़ाइल उल्लंघनों के मामले सामने आए हैं, जिससे हजारों व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी उजागर हो गई है। डिजिटल युग में संवेदनशील डेटा की भेद्यता के बारे में चिंता बढ़ गई है। एक अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म (cyber security firm), रिसिक्योरिटी ने 15 अक्टूबर को रहस्योद्घाटन किया कि 81.5 करोड़ भारतीयों की व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई), जिसमें आधार संख्या और पासपोर्ट विवरण शामिल हैं, को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। इस व्यापक डेटा की कीमत 80,000 डॉलर लगाई जा रही है।