52 साल में केवल दो बार यहां से जीती है BJP, वही से चुनाव लड़ेंगे Akhilesh Yadav

अगले साल लोकसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा के साथ-साथ विपक्ष ने भी जोरशोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। अखिलेश यादव ने भी कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है।

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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: अगले साल लोकसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा के साथ-साथ विपक्ष ने भी जोरशोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। देश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी में ही हैं। ऐसे में खासतौर पर अखिलेश यादव की साख यहां दांव पर है। एसपी प्रत्याशियों के नाम पर भी अभी से चर्चा शुरू हो गई है। अखिलेश यादव ने भी कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है। इसका एलान वह खुद पिछले साल नवंबर में कर चुके हैं। 

क्या रहा है इस सीट का इतिहास? 

1967 में पहली बार ये सीट अस्तित्व में आई थी। तब समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने खुद यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे। 1971 में कांग्रेस के सत्य नारायण मिश्र, 1977 में जनता पार्टी के राम प्रकाश त्रिपाठी, 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के छोटे सिंह यादव, 1984 में कांग्रेस से शीला दीक्षित, 1989 और 1991 में फिर से छोटे सिंह यादव यहां से सांसद चुने गए थे। 1996 में पहली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चंद्र भूषण सिंह यहां से सांसद चुने गए थे। 1998 में प्रदीप यादव और फिर अगले ही साल यानी 1999 में यहां से मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए। 

साल 2000 में जब मुलायम ने ये सीट छोड़ी तो अखिलेश यादव यहां से चुनाव लड़े। अखिलेश लगातार 2000, 2004 और फिर 2009 में यहां से सांसद चुने गए। 2012 में जब अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी सीट से पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया। डिंपल तब यहां से पहली बार सांसद चुनी गईं। 2014 में हुए चुनाव में भी डिंपल ने ही यहां से जीत हासिल की। 2019 में मोदी लहर और भाजपा की तैयारी ने दूसरी बार सपा के गढ़ में सेंध लगाई। भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया और सांसद चुन लिए गए।