टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: आज क्षेत्र के छोटे व्यापारियों ने एक विरोध जुलूस के जरिए अंडाल रेलवे अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर उन्हें पुनर्वास के बिना बेदखल न करने की मांग किया। अंडाल रेलवे स्टेशन से सटे इलाके में करीब 500 से 600 दुकानें हैं। दुकानदारों का दावा है कि वे यहां तीस-चालीस साल से व्यवसाय कर रहे हैं। रेलवे ने हाल ही में 6 फरवरी तक दुकानें खाली करने का नोटिस जारी किया था। नोटिस मिलने के बाद व्यापारी स्वाभाविक रूप से चिंतित हैं। नोटिस को वापस लेने और पुनर्वास की मांग को लेकर आज एक जुलूस निकाला गया और रेलवे अधिकारी को ज्ञापन सौपा गया।
प्रदर्शनकारियों की ओर से दिलीप मांझी और शोवन पाल ने कहा कि यहां सभी दुकानदारों के परिवार हैं। उनका परिवार व्यापार कर गुजारा करता है। बिना पुनर्वास या वैकल्पिक उपायों के बेदखल किए गए तो परिवार सड़कों पर आ जाएंगे। अगर उनकी मांगों के अनुसार पुनर्वास नहीं दिया गया तो वे जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान तृणमूल नेता व रानीगंज नगर अध्यक्ष रूपेश यादव छोटे व्यापारियों के साथ खड़े रहे। रेलवे जिस तरह से क्षेत्र में छोटे व्यापारियों को बेदखल करने की कोशिश कर रहा है, उसका विरोध करते हुए, रूपेश बाबू ने कहा कि "कानून सभी के लिए हैं, भारत के संविधान में सभी को जीने का अधिकार है।" इसलिए रेलवे पहले उन लोगों का पुनर्वास करे, फिर उन्हें बेदखल करे। नहीं तो वे भी कानून की मदद से आंदोलन में शामिल होंगे।
वहीं आसनसोल मंडल के डीआरएम परमानंद शर्मा ने कहा कि रेलवे सेवा को और बेहतर बनाने के लिए रेलवे के चारों ओर जगह बनाने की जरूरत है, ताकि यात्रियों को अधिक सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। उन्होंने कहा कि हो सकता है कुछ लोगों को इससे परेशानी हो लेकिन सार्विक भलाई के लिए यह मान लेना चाहिए।