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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: लड़कियों की शादी की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक विधेयक के परीक्षण के लिए बनी संसद की एक समिति में भी पुरुष सांसदों का ही वर्चस्व है। 31 सदस्यीय समिति में मात्र एक महिला सांसद को लिया गया है।
लैंगिक समानता व महिला अधिकारों की लंबी चौड़ी बातों की सचाई यह है कि पुरुषों को प्रधानता की सोच बदल नहीं पा रही है। यही कारण है कि महिलाओं से संबंधित मसलों पर भी विचार व फैसला अधिकतर पुरुषों द्वारा ही किया जाता है।
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