इंसानीयत की असली पहचान बेजुबानों के दर्द को समझना

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इंसानीयत की असली पहचान बेजुबानों के दर्द को समझना

टोनी आलम एएनएम न्यूज़: इंसानीयत की असली पहचान तब होती है जब वह सिर्फ दुसरे इंसानों का ही नहीं बल्कि बेजुबानों के दर्द को भी समझे। ऐसा ही एक संगठन है व्हायेसलेस। रानीगंज की यह संस्था सड़क के बेजुबान कुत्तों के लिए काम करती है। कल इस संगठन की तरफ रानीगंज चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष प्रदीप बजोरिया ने मदद का हाथ आगे बढ़ाते हुए इनके संगठन को डेढ़ सौ बिछौनों का इंतज़ाम किया। बिचाली को बोरो में भरकर अच्छे से सिलकर इन बिछौनों को बनाया गया है ताकि सर्द रातों में इनको उन जगहों पर बिछाया जाए जहां कुत्ते रात को सोते हैं। प्रदीप बजोरिया ने कहा कि व्हायेसलेस नामक संस्था पिछले लंबे समय से सड़क के कुत्तों को लेकर काफी अच्छा काम कर रही है। आज इस संस्था को डेढ़ सौ डाग बेड दिए गए जिनसे सर्दी की इन रातों में सड़क पर रहने वाले कुत्तों को ठंड ना लगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी उनकी तरफ से जो भी मदद होगी वह करेंगे। वहीं व्हायेसलेस के अध्यक्ष सौरव मुखर्जी ने इस पहल के लिए प्रदीप बजोरिया का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने बताया कि प्रदीप बजोरिया पहले दिन से इनके संगठन के साथ है और हमेशा वह इनकी मदद करते रहते हैं। सौरव ने कहा कि कुत्तों को इस ठंड में हो रही परेशानी को देखते हुए उन्होंने प्रदीप बजोरिया से इस तरह का कुछ इंतजाम करने का अनुरोध किया था। उनको खुशी है कि प्रदीप बजोरिया ने फौरन उनके अनुरोध पर इन बिछौनों का इंतज़ाम कर दिया। इनका कहना है कि बाजार में इन डाग बेड की काफी ज्यादा कीमत है जो खरीदना इनके संगठन के लिए मुमकिन नहीं था। सौरव मुखर्जी ने कहा कि पहले चरण में रानीगंज के विभिन्न इलाकों में इन बिछौनों को रखने के बाद वह पांडवेश्वर सहित अन्य इलाकों में भी जनवरी के दुसरे हफ्ते में यह कार्यक्रम करेगे।