गंगासागर की कहानी

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गंगासागर की कहानी

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: हिन्दू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, एक बार श्रीहरि कपिल मुनि के रूप में अवतरित हुए थे। उन्होंने अपना आश्रम बनाया और तपस्या में लीन हो गए। उस समय राजा सागर अपने शुभ कर्मों से खूब पुण्य-लाभ कमा रहे थे। यह देख इंद्र को अपना सिंहासन हिलता दिखा। उन्होंने षड़यंत्र करके राजा सागर का बलि में चढ़ाए जाने वाले अश्व को चुरा कर कपिल मुनि के आश्रम में छोड़ा दिया। सागर के साठ हजार पुत्र जब अश्व को ढूंढते हुए कपिल मुनि के आश्रम में घोड़े को देखा, तो उन्हें लगा कि उनका घोड़ा कपिल मुनि ने चुराया । सागर-पुत्रों द्वारा अपमानित होने पर कपिल मुनि ने सागर के सभी पुत्रों को श्राप देकर भस्म कर दिया। सागर के पौत्र भगीरथ की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुईं और सागर-पुत्रों की राख गंगा में प्रवाहित कर उन्हें मोक्ष दिलाया । इसके बाद से ही गंगा को मोक्ष दायिनी माना जाता है, और हर व्यक्ति इस अवसर पर गंगा में डुबकी लगाते हैं।