स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: सूर्यग्रहण की तरह ही इस बार चंद्र ग्रहण भी देशभर में दिखाई देगा। ऐसे में ग्रहण के सूतक काल भी मान्य होगा। सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे। सूतक काल और ग्रहण काल के दौरान भजन कीर्तन करना चाहिए। जानिए ग्रहण काल में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
आपको बता दें कि सूतक काल में पूजा वर्जित होती है। इसलिए इस दौरान घर में रहकर ही भगवान का ध्यान करें। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दिन भोजन आदि खाद्य पदार्थों में भी तुलसी की पत्ती डालकर ही उन्हें ग्रहण किया जाता है। ग्रहण में जो भी दान दिया जाता है, दान अमृत तुल्य माना जाता है। ग्रहण के बाद लाल कपड़ा, तांबे के पात्र, मसूर दाल, गेंहू और लाल फल का दान करना बेहत उत्तम माना गया है। वैदिक सभ्यता के अनुसार ग्रहण के बाद इन चीजों का दान करने से कुंडली में मौजूद ग्रहों के सभी दोष दूर होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ग्रहण के बाद मंदिर के पट खोले जाते हैं और मंदिर का साफ-सफाई कर शुद्धिकरण करने के बाद पूजा पाठ की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण इस दिन दीप दान ग्रहण छूटने के बाद कियाजा सकता है, इसके अलावा अगले दिन या एक दिन पहले भी स्नान-दान और दीपदान किया जाता है।