छठ पूजा से जुड़ी अन्य कथा, कब और कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत

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छठ पूजा से जुड़ी अन्य कथा, कब और कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज : परिवार की सुख-समृद्धि और संतान के सौभाग्य के लिए की जाने वाली छठ पूजा में व्रती को तीन दिनों को कठिन नियमों को पालन करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि जीवन से जुड़ी सभी कष्टों को दूर और कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत कब और किसने शुरु किया।



मान्यता है एक बार एक नि:संतान महिला ने स्वस्थ और सुंदर संतान की कामना रखते हुए कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन संकल्प किया कि यदि उसके पुत्र होगा तो वह विधि-विधान से व्रत करेगी। कुछ समय बाद ही उसे सूर्यदेव की कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन वह व्रत करना भूल गई और समय बीतने के बाद उसके पुत्र का विवाह भी हो गया। विवाह के बाद लौटते समय वर-वधू ने रात बिताने के लिए जंगल में डेरा डाल दिया। लेकिन इसके बाद जब सुबह वधू ने अपने पति को मृत पाया। ऐसा देखते ही वह जोर-जोर से विलाप करने लगी तो उसके पास एक बूढ़ी महिला आई और उसने कहा कि, ‘मैं छठ माता हूं और तुम्हारी सास ने मेरी पूजा और व्रत नहीं कियाा। जिसके कारण मैंने तुम्हारे पति के प्राण हर लिए, लेकिन तुम्हारा विलाप देखकर मैं इसे दोबारा जीवित कर देती हू। अब तुम घर जाकर अपनी सास को उसका संकल्प याद दिलाना। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही सासको अपनी गलती का अहसास हो गया और विधि-विधान से सूर्य षष्ठी का व्रत किया।