स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को करीब दो दशक बाद एक गैर-गांधी परिवार से मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में नेता अध्यक्ष रूप में मिला है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को 6825 मतों से हराया था। लेकिन कांग्रेस आज जिस मोड़ पर खड़ी है, उसे देखते हुए नए निर्वाचित अध्यक्ष के लिए आने वाले समय में कई चुनौतियां हैं। हालांंकि खड़गे ने अपने लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
पार्टी और संगठन को मजबूत करना- मौजूदा हालात में कांग्रेस जिस मोड़ पर खड़ी है अध्यक्ष रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे की सबसे बड़ी जिम्मेवारी पार्टी और संगठन को मजबूत करना है। चुनावी समर में मिलती लगातार हार और गुटबाजी के कारण पार्टी से चेहरे के रुप में स्थापित हो चुके एक से एक बड़े नेता छोड़कर जा चुके हैं या जाने वाले हैं। इस सिलसिले को रोकना और संगठन को मजबूत करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
गुजरात और हिमाचल में पार्टी को जीत दिलाना- दूसरी बड़ी चुनौती खड़गे के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश में पार्टी को आगामी विधानसभा में चुनाव जितवाना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि कांग्रेस को पूरे 51 वर्ष बाद कोई दलित नेता पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहा है। और दलित कभी कांग्रेस का कोर वोटर हुआ करता था। इन दोनो राज्यो में भाजपा के साथ- साथ कांग्रेस को आम आदमी पार्टी का भी सामना करना होगा। जिस प्रकार से अरविंद केजरीवाल गुजरात में सक्रिय हैं वो कांग्रेस के लिए नया सिरदर्द हैं।
जमीनी और जनाधारवाले नेताओं को संगठन में उनका हक दिलाना- खड़गे पर पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के साथ ही जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को संगठन में सम्मानजनक स्थान दिलाना भी किसी चुनौती कम नहीं है। ऐसा इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार से कांग्रेस के बड़े और जनाधार वाले नेताओं ने पार्टी से किनारा किया है उससे कार्यकर्ताओं और वोटरों में पार्टी और नेतृत्व को लेकर नकारात्मक संदेश ही गया है।
दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ना- पिछले कुछ समय से कांग्रेस की राजनीति में दलित वोट बैंक पर खास जोर दिया जा रहा है। दलित समुदाय से आने वाले खड़गे को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने समाज को एक सकारात्मक संदेश देने की भी कोशिश हैं। अब मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना पार्टी की दलित राजनीति को नई धार दे सकती हैं अगर पार्टी पुराने अनुभवों से सतर्क और सजग रहती है तो। खड़गे दक्षिण भारत के एक बड़े दलित नेता हैं और गांधी परिवार से नजदीकियों की वजह से राष्ट्रीय राजनीति में भी उन्हें अलग पहचान मिली है।
गांधी परिवार से बेहतर ताल-मेल कायम रखना- मलिकार्जुन खड़गे उन नेताओं ने से हैं जिन्हे दस जनपथ का आशीर्वाद प्राप्त हैं और ऐसा माना जा रहा हैं उनके अध्यक्ष बनने में गांधी परिवार का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन था। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के ‘अनाधिकारिक आधिकारिक’ उम्मीदवार थे। नामांकन के दौरान भी कांग्रेस और गांधी परिवार के करीबी अधिकांश नेता खड़गे के समर्थन में खुलकर सामने आए। पर अध्यक्ष बनने के बाद खड़गे के लिए सबसे बड़ी चुनौती गांधी परिवार, परिवार के वफादार सिपाहियों और संगठन के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना होगा।