क्या इंसानों के लिए ख़तरा है 5G?

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क्या इंसानों के लिए ख़तरा है 5G?

एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: 3जी, 4जी की तरह 5जी भी एक मोबाइल इंटरनेट तकनीक है, इसे नेक्स्ट जेनेरेशन तकनीक कहा जा रहा है, लेकिन इसमें ख़ास क्या है? 5जी न केवल एक साथ अधिक यूज़र्स को सपोर्ट करता है बल्कि अधिक डेटा भी हैंडल कर सकता है। आमतौर पर 4जी में रिस्पॉन्स टाइम 30 मिलीसेकंड का होता है, वहीं 5जी में ये एक मिलीसेकंड होता है। "मैच हो या म्यूज़िक कंसर्ट, 4जी में आपको दिक्कत आती है। लोग लगातार वीडियो शेयर करते हैं और इंटरनेट ट्रैफिक अधिक होता है, ऐसे में आपका फ़ोन इसे हैंडल नहीं कर पाता लेकिन 5जी तकनीक इस तरह के प्रेशर को संभालने के लिए ही बनी है।" इसकी वजह है हायर फ्रीक्वेन्सी। जहां 4जी छह गीगाहर्ट्ज़ से कम की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है वहीं 5जी 30 से 300 गीगाहर्ट्ज़ की फ्रीक्वेंसी काम में लेता है।



इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये ड्राइवरलेस कार को सपोर्ट करती है। ये ऐसी कारें हैं जो एक दूसरे से कम्युनिकेट करती हैं। सड़क पर अपनी स्थिति के अलावा ये आगे-पीछे से आने वाली चीज़ों के बारे में जान पाती हैं, सड़कों-गलियों के मैप, ट्रैफिक लाइटें और सड़क पर दिए संकेत पढ़ पाती हैं। दूसरे कई क्षेत्रों में भी इससे फायदा मिल सकता है, जैसे मेडिकल डिवाइसेस, अस्पताल, एंबुलेंस सभी एक दूसरे से बेहतर संपर्क कर सकते हैं लेकिन 5जी की रेंज कम होती है और अच्छी कवरेज के लिए चाहिए बेहतर नेटवर्क। महामारी के दौरान कई देशों में 5जी टावरों पर हमले ऐसे वक्त हुए जब लोगों के लिए मोबाइल फ़ोन एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखने का अहम साधन था। ये बात समझी जा सकती है कि कई लोग 5जी रेडिएशन को ख़तरनाक मानते हैं लेकिन अब तक इसके कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिले हैं और जब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण न मिलें, तब तक क्या ऐसी किसी भी दलील पर यकीन करना सही होगा?