स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: भाई-बहन का प्यार बेहद खूबसूरत और पाक होता है। रक्षाबंधन के दिन बहन जहां अपने भाई की खुशी और लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए उसे राखी बांधती हैं। वहीं, भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं। बिहार के सीवान में 'भैया-बहिनी मंदिर' एक ऐसा मंदिर हैं जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है और कहा जाता है यहां भाई-बहन एक दूसरे के लिए जो मांगते हैं वो पूरा होता है।मंदिर में पूजा करने के बाद लोग बरगद के पेड़ पर राखी बांधते हैं। बहनें यहां राखी चढ़ाकर भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसकी खुशी के लिए प्रार्थना करती हैं।
मुगल शासन काल में एक भाई अपनी बहन को उसके ससुराल से रक्षाबंधन के दो दिन पहले विदा करके घर ले जा रहा था। बहन डोली में थी। जब वो भीखाबांध के पास पहुंचे तो मुगल सैनिको ने उन्हें रोक लिया। वो भाई को अलग हटाकर उसकी बहन को डोली से बाहर निकालकर छेड़खानी करने लगे। बहन की रक्षा करते-करते भाई मर गया। इसके बाद बहन ने भगवान को पुकारा। कहा जाता है कि उस वक्त धरती फट गई और भाई-बहन उसके अंदर समा गए। जिसके बाद कहार भी कूएं में कूदकर जान दे दी थी।
कहा जाता है जिस जगह पर दोनों धरती में समाए थे, वहां पर दो बरगद के पेड़ निकले।यह पेड़ करीब पांच बीघा में फैला हुआ है।जो आपस में ऐसे लिपटे नजर आते हैं जैसे एक दूसरे की रक्षा कर रहे हैं। पेड़ के पास ही लोगों ने मंदिर का निर्माण कराया और उसका नाम 'भैया-बहिनी' मंदिर रखा गया।