स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: जब नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई थी, तब दावा किया गया था कि 2019 तक गंगा साफ हो जाएगी। इसके बावजूद राष्ट्रीय नदी में अब भी 60 सीवेज गिराया जा रहा है। आस्था का प्रतीक गंगा का पानी 97 स्थानों पर आचमन के लायक भी नहीं है। उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 10139.3 एमएलडी सीवेज निकलता है। 3959.16 एमएलडी यानी करीब 40 फीसदी सीवेज ही ट्रीटमेंट प्लांट से होकर गुजरता है, बाकी 60 को सीधा गंगा में गिराया जाता है, क्योंकि गंगा के प्रमुख पांच राज्यों में मौजूद 226 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी अपनी क्षमता से कम काम कर रहे है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने बीते शुक्रवार को कहा की यह चिंताजनक है की गंगा में प्रदूषण का ग्राफ गिरने की बजाय बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा के प्रमुख पांच राज्यों में कुल 245 एसटीपी में से 226 एसटीपी ही ठीक हैं।