जानिए रथयात्रा में क्यों नहीं होता श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का रथ?

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जानिए रथयात्रा में क्यों नहीं होता श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का रथ?



स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: हमारे देश में समय-समय पर कई बड़े धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। इनमें जगन्नाथ रथयात्रा भी एक है। हर साल आषाढ़ मास में उड़ीसा के पुरी में इस विशाल और प्रसिद्ध रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इस बार जगन्नाथ रथयात्रा का आरंभ 1 जुलाई से होगा, जो 10 जुलाई तक चलेगा। ये दक्षिण भारत का सबसे विशाल आयोजन होता है। मान्यता है कि जो भी भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचता है वो जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का रथ भी होता है, लेकिन उनकी पत्नी रुक्मिणी या प्रेयसी राधा का रथ नहीं होता।



इसके परंपरा के पीछे जो कथा प्रचलित है इस प्रकर की हैं , एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने महल में सोने के समय नींद में ही राधा का नाम लेने लगे।समीप ही उनकी पत्नी रुक्मिणी भी सो रही थीं। तभी अचानक श्रीकृष्ण के मुख से राधा का नाम सुनकर रुक्मिणीजी को बहुत आश्चर्य हुआ। सुबह होते ही देवी रुक्मिणी ने अन्य पटरानियों को यह बात बताई और कहा कि “हमारी इतने सेवा, प्रेम और समर्पण के बाद भी स्वामी राधा को याद करना नहीं भूलते।”



इस बात की शिकायत लेकर सभी रानियां माता रोहिणी के पास गईं और उनसे राधा और श्रीकृष्ण की लीला के बारे में जानना चाहा। रानियों के कहने पर माता रोहिणी ने उनकी बात को मानके यह शर्त रखी कि “मैं जब तक श्रीकृष्ण-राधा के प्रसंग को सुनाऊं, तब तक कोई भी कमरे के अंदर नहीं आना चाहिए।”लेकिन कमरे के बहार श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा को रासलीला सुनाई दे रहे थे। वे तीनों इन प्रसंगों में इतने भाव विभोर हो गए कि उनके शरीर गलने लगे। तभी नारद ने भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के इस रूप में कलयुग में सभी भक्तों को दर्शन देने की प्रार्थना की।