स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज : गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन के नए बोर्ड के गठन के लिए रविवार को हुए मतदान में जनता की प्रतिक्रिया की कमी देखी गई और मतदान प्रतिशत केवल 57 प्रतिशत दर्ज किया गया। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में नगर निकायों के गठन के लिए किसी भी मतदान में यह सबसे कम मतदान प्रतिशत था। 10 साल के अंतराल के बाद रविवार को जीटीए के लिए यह चुनाव हुई थी। राज्य चुनाव आयोग द्वारा जीटीए के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से काफी अराजकता थी। कई पहाड़ी दलों ने चुनाव का बहिष्कार किया।
रविवार को गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन चुनाव में कुल 277 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 169 निर्दलीय उम्मीदवार थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए जीटीए चुनावों का निष्कर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण था। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि नए जीटीए बोर्ड के गठन से अलग गोरखालैंड राज्य या राज्य में स्थायी राजनीतिक समाधान की मांग को लेकर पहाड़ियों में आंदोलन फिर से शुरू हो जाएगा। जीटीए पहाड़ियों में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी की स्थिति लगभग शून्य है क्योंकि उनका नेतृत्व भी इस तथ्य से अवगत है कि उनके पास पहाड़ियों में आवश्यक संगठनात्मक ताकत नहीं है। बंगाल का सत्ताधारी पार्टी का एकमात्र उद्देश्य स्थायी राजनीतिक समाधान के मुद्दे पर राजनीतिक ताकतों को विभाजित रखना है और उसके लिए नए जीटीए बोर्ड का गठन नितांत आवश्यक है।