पहले कोरोना अब कुदरत का कहर, 45 डिग्री तापमान

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Harmeet
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पहले कोरोना अब कुदरत का कहर, 45 डिग्री तापमान


स्कूली बच्चे हो रहे हैं चिलचिलाती धुप के शिकार, सरद गर्म से कई बच्चे बीमार


कड़ी धुप मे भी स्कुल खोल स्कूली बच्चों के जीवन से हो रहा खिलवाड़


राहुल पासवान, एएनएम न्यूज ,आसनसोल :
इस बार अप्रैल की गर्मी ने पिछले साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। दिन में ज्यादा गर्मी होने से सड़क पर आम नागरिकों का चलना मुश्किल हो गया है। मंगलवार को ज्यादा गर्मी होने से दिन का पारा 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। मंगलवार को दिन निकलते ही सूर्यदेव ने आसमान से आग बरसाना शुरू कर दिया है। सुबह दस बजे से ही ज्यादा गर्मी पड़नी शुुरू हो गई, दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक सड़कों का निकलना कठिन हो गया। ज्यादा गर्मी पड़ने से मंगलवार को दिन में महिलाएं और पुरुष सिर और मुंह पर कपड़े लपेटकर अपने घर से बाहर निकले। मंगलवार को दिन का तापमान करीब 45 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। तपती धुप के साथ कभी - कभी हलकी गर्म हवाएँ चल रही हैं, जो हवाएँ मानो शरीर की त्वचा जलाने का काम कर रही है। इन हवाओं के कारण लोगों का गर्मी से हाल बेहाल है, लोग धुप से बचने के लिये सड़कों के किनारे लगे गन्ने का रस तो कभी लस्सी व कोल्ड्रिंक्स पीकर अपने शरीर को तपती धुप से राहत देने का काम कर रहे हैं। पर इस दौरान उनको सरद गर्म होने से उनका शरीर भी असवस्थ हो रहा है, वो सरद गर्म होने के कारण उससे उत्पन्न होने वाली बिमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे मे स्कूली बच्चों का भी हाल बेहाल है, वह सुबह के 25 से 27 डिग्री के तापमान मे स्कुल तो चले जा रहे हैं। पर स्कुल से वापस आने के समय और उसके बाद उनको 44 से 45 डिग्री तक के तापमान को झेलना पड़ रहा है। जिस कारण घर पहुँचते - पहुँचते उनकी शरीर का हालत काफी ख़राब हो जा रहा है। कई स्कूली बच्चे इस तपती धुप के शिकार हो चुके हैं, जिनका इलाज उनके घर पर ही चिकित्साकों के परामर्श से चल रहा है। जिन बच्चों की तबियत ज्यादा बिगड़ चुकी है, उन बच्चों को आसनसोल के सरकारी व गैर सरकारी अस्पताल मे इलाज के लिये भर्ती करवाया गया है। धुप के शिकार बच्चों को ज्यादा तर उल्टियां और पेट मे दर्द के साथ सर्दी और बुखार एक साथ हो रहा है, यहाँ तक की कइयों को ज्यादा दस्त होने के कारण शरीर से पानी की कमी हो जा रही है। जिससे उनका शरीर भी काफ़ी कमजोर हो जा रहा है। अप्रैल महीने मे कुदरत द्वारा बरसाए जा रहे इस कहर को देख लोगों का कहना है, की पहले तो कोरोना के कहर ने उनको उनके ही घर से निकलना दुसवार कर दिया। अब इस चिलचिलाती धुप ने सब का जीना हराम कर दिया है। वह घर से बाहर निकल नही पा रहे हैं, अगर निकल भी रहे हैं, तो उनको अपने मुह पर कपड़े बाँधने पड़ रहे हैं, और मुह के साथ - साथ पूरा सर उनको ढकना पड़ रहा है। शरीर पर पुरे कपड़े पहनने पड़ रहे हैं, शरीर के खाली हिस्सों मे जैसे ही धुप की दहकती किरणे हलकी सी भी पड़ रही हैं, मानो वह किरणे लोगों की त्वचा को जलाने का कार्य कर रही है। कई लोग तो इस दहकती धुप से बचने के लिये बरसात मे बारिस से बचने वाली छातों को धुप से बचने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं।

पश्चिम बर्धमान चीफ मेडिकल ऑफिसर शेख मोहमद यूनुस तपती धुप को लेकर चिकित्सकों की अगर हम राय की बात करें तो उनका कहना है, की बच्चों को धूप व लू से बचाएं और घर के अंदर रखें। बच्चों को को तरल पदार्थ दूध, पानी आदि ज्यादा पिलाएं। पानी की कमी न होने दे। घर में बने पौष्टिक आहार ज्यादा दे ताकि बीमारी से लड़ने की ताकत ज्यादा रहे। बाजार की खाने पीने की चीजों से परहेज रखें। गर्मी से बचने के लिए पंखे, कूलर समेत सभी तरीके अपनाएं। जिन बच्चों को एलर्जी छींक आना, दमा आदि की समस्या हो, वह तेज हवा चलने पर घर से बाहर न निकले और धूल मिट्टी से बचाव करें। दोपहर में ज्यादा जरूरी हो, तो ही निकलें बाहर साथ ही उनका यह भी कहना है, की दोपहर के 12 बजे से शाम चार बजे तक धूप की तपिश ज्यादा रहती है। इस समय में बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले। अगर निकलना पड़े तो छाता लगाकर, या सिर पर सूती कपड़ा रखकर और मुंह ढककर निकले। गर्मी में घर से पानी पीकर निकले। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो सके। तरल पदार्थों का सेवन करें। बाजार की चीजें खाने पीने से बचे।